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शरद पूर्णिमा की रात बरसता है अमृत, भगवान श्रीकृष्ण रचाते हैं महारास, जानिए कोजागरी पूर्णिमा की 10 खास बातें

शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी पूरी चमक और 16 कलाओं से पूर्ण होता है, जिसकी किरणें अमृत समान मानी जाती हैं. माना जाता है कि इसी रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं.

शरद पूर्णिमा की रात बरसता है अमृत, भगवान श्रीकृष्ण रचाते हैं महारास, जानिए कोजागरी पूर्णिमा की 10 खास बातें
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( Image Source:  Canva )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 6 Oct 2025 10:20 AM IST

सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 को शरद पूर्णिमा का पर्व है. हिंदू धर्म में आश्विन माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा और कुमार पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. शरद पूर्णिमा को सबसे और पवित्र माना जाता है. इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर आकाश में चकता है.

शास्त्रों में शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई परंपराएं होती है जिसका अपना खास महत्व है. आइए जानते हैं वे 10 कारण जिसके कारण शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है.

शरद पूर्णिमा की 10 खास बातें

चंद्रमा की 16 कलाएं

शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं, ऐसी मान्यता है इस दिन चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. चंद्रमा की 16 कलाएं इस तरह हैं- अमृत, मनदा, पुष्प, पुष्टि, तुष्टि, ध्रुति, शाशनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पूर्ण, और पूर्णामृत हैं. ये कलाएं चंद्रमा की विभिन्न अवस्थाओं और गुणों को दर्शाती हैं. ऐसा कहा जाता है कि वर्ष में इस दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है.

चंद्रमा की किरणों से अमृततुल्य वर्षा

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है. जिस कारण से शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखा जाता है, ताकि खीर में चंद्रमा की अमृततुल्य किरणें खीर में मिल जाए.

मां लक्ष्मी का प्राग्ट्य उत्सव

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही धन और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है.

चंद्रदेव और भगवान विष्णु की पूजा

पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा पूरे आकार में होता है जिस कारण से पूर्णिमा तिथि चंद्र देवता को समर्पित होता है. ऐसे में इस दिन चंद्रदेव की पूजा और जल अर्पित किया जाता है. इसके साथ भगवान विष्णु की पूजा करने की महत्व होता है.

कोजागरी पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और इस दौरान सभी से पूछती हैं कि कौन जाग रहा है. इस कारण से इसे कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं.

शरद पूर्णिमा और आयुर्वेद का संबंध

आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रौशनी में कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं. ऐसे में चंद की किरणों से निकलने वाले इन औषधीय गुण खीर के माध्यम से उसमें प्रवेश होता है.

भगवान श्रीकृष्ण रचाते हैं महारास

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्रीकृष्ण गोपियों संग वृंदावन में महा रासलीला रचाई थी. इस वजह से शरद पूर्णिमा की रात को रासलीला की रात भी कहते हैं. निधिवन में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी नौ लाख गोपिकाओं के साथ स्वंय के ही नौ लाख अलग-अलग गोपों के रूप में आकर महारास रचाया था इसलिए शरद पूर्णिमा का महत्व काफी होता है.

खीर खाने का महत्व

शरद पूर्णिमा की खीर बहुत खास होती है, क्योंकि इसमें चंद्र के औषधीय गुण भी शामिल रहते हैं. ये खीर खाने के बहुत ही लाभ होते हैं. इसके सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

भगवान शिव की पूजा

चंद्रमा भगवान शिव के माथे की शोभा बढ़ाते हैं. इस वजह से शरद पूर्णिमा के दिन शिवजी की पूजा करने से चंद्रदोष दूर होता है. इस दिन ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. साथ ही चंद्र मंत्र ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करें.

चांद की रोशनी में बैठने का महत्व

शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृततुल्य वर्षा होती है ऐसे में शरद पूर्णिमा की रात कुछ देर चांदनी रात में जरूर बैठना चाहिए और धन लगाना चाहिए. ऐसा करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं.

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