बीमार बेटी के लिए मां की जद्दोजहद, पीठ पर लादकर ले गई अस्पताल, फिर भी नहीं बच पाई जान
रुद्रपुर से एक झकझोर देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक मां ने अपनी बेटी को बचाने हर संभव मदद के लिए दौड़ती रही. लेकिन समाज की बेरुखी और सुविधाओं की कमी ने उसकी जद्दोजहद को और कठिन बना दिया और आखिरकार उसकी बेटी की मौत हो गई. इतना ही नहीं, मौत के बाद पहले मृतक के ससुराल वाले शव लेने नहीं आए. इसके बाद पुलिस वालों ने मध्यस्ता की, जिसके बाद मामला सुलझा.

रुद्रपुर की हीरा कली की कहानी ममता और संघर्ष की जिंदा मिसाल है. उसकी बेटी रजनी बीमार पड़ी थी और स्थिति इतनी गंभीर थी कि घर में ही बेसुध हो गई. ससुराल वालों से मदद न मिलने पर हीरा कली ने अपनी बेटी को पीठ पर लादकर हर संभव रास्ता अपनाया. उसने अस्पताल तक पहुंचने की पूरी कोशिश की, लेकिन रास्ते में समाज की बेरुखी और सुविधाओं की कमी ने उसकी जद्दोजहद को और कठिन बना दिया.
कई जगहों पर मदद न मिलने के बावजूद हीरा कली ने हिम्मत नहीं हारी और निजी अस्पताल तक अपनी बेटी को पहुंचाया. डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताते हुए उसे हल्द्वानी रेफर कर दिया. हालांकि मां की ममता और हौसले के बावजूद रजनी की जान बचाई नहीं जा सकी.
बीमारी जिसने छीन ली खुशी
लीलालपुर की रजनी की शादी तीन साल पहले विनोद से हुई थी, जो ट्रांसिट कैंप रहता था. सबकुछ ठीक चल रहा था. नौ महीने पहले रजनी ने एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया, लेकिन वही खुशी जल्द ही उसकी जिंदगी की मुश्किल बन गई. तब से उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई. धीरे-धीरे वह घर की चारदीवारी में ही पराई सी हो गई. ससुराल वालों की लापरवाही और समाज की अनदेखी ने उसे और तोड़ दिया.
बेटी को लेकर दर-दर भटकती रही मां
एक दिन हालात इतने बिगड़े कि ससुराल वालों ने रजनी की मां हीरा कली को फोन किया. जब वह पहुंची, तो बेटी बेसुध हालत में थी. ऊपर की मंज़िल पर पड़ी रजनी को हीरा कली ने अपनी बीमार पीठ पर उठाया और नीचे लेकर आई. उसका एक ही मकसद था कि किसी तरह बेटी की जान बच जाए. वो सड़क पर मदद मांगती रही, हर दरवाजा खटखटाया, मगर इंसानियत जैसे मर चुकी थी. किसी ने आगे बढ़कर मदद नहीं की. यहां तक कि एक ई-रिक्शा ने भी मना कर दिया.
बेटी को लेकर गई अस्पताल
हीरा कली के पास मोबाइल फोन तक नहीं था कि हेल्पलाइन पर कॉल कर सके. फिर भी वह हार नहीं मानी और किसी तरह बेटी को एक निजी अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टरों ने बताया कि हालत बेहद नाज़ुक है और तुरंत सुशीला तिवारी अस्पताल, हल्द्वानी ले जाने की सलाह दी.
मां की उम्मीद और किस्मत की हार
रुद्रपुर से हल्द्वानी के सफ़र में एंबुलेंस मिली, लेकिन नियति शायद कुछ और लिख चुकी थी. शुक्रवार की सुबह अस्पताल पहुंचने से पहले ही रजनी की सांसें थम गईं. डॉक्टरों ने बताया कि उसका लीवर फेल हो गया था. उस वक़्त हीरा कली की आंखों से सिर्फ़ आंसू नहीं, पूरा संसार बह रहा था.
मौत के बाद भी ना मिला सुकून
परिवार वालों ने रजनी का शव बिना पोस्टमार्टम कराए हल्द्वानी से रुद्रपुर लाने की कोशिश की. लेकिन नियमों के अनुसार, चूंकि मौत हल्द्वानी में हुई थी, इसलिए पोस्टमार्टम वहीं होना जरूरी था. परिजन भटकते रहे, अस्पताल से थाने तक, रुद्रपुर से ट्रांजिट कैंप तक- बस बेटी की आख़िरी रस्में पूरी करने के लिए. किस्मत की मार और समाज की बेरुख़ी ने एक मां को अंदर से तोड़ दिया था. पहले ससुराली साथ नहीं आए, बाद में विवाद खड़ा कर दिया. मामला पुलिस तक पहुंचा, जिसके बाद पुलिस की मध्यस्थता से कार्यवाही आगे बढ़ी.