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हलवा या लड्डू नहीं बल्कि शराब का लगाया जाता है भोग, जानें भंवाल माता से जुड़ी अनोखी कहानी

राजस्थान के नागौर जिले में एक अनोखा मंदिर है, जहां देवी को प्रसाद के रूप में मदिरा (शराब) अर्पित की जाती है. यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है और इस मंदिर को भंवाल माता के नाम से जाना जाता है.

हलवा या लड्डू नहीं बल्कि शराब का लगाया जाता है भोग, जानें भंवाल माता से जुड़ी अनोखी कहानी
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Editor 4
By: Editor 4

Published on: 5 Oct 2024 6:53 PM

Shree Bhanwal Mata Mandir: इन दिनों पूरा देश नवरात्रि का त्योहार मना रहा है. हर कोई माती रानी की भक्ति में लीन है. इसी बीच हम एक अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे. राजस्थान के नागौर जिले में एक अनोखा मंदिर है, जहां देवी को प्रसाद के रूप में मदिरा (शराब) अर्पित की जाती है. यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है और इस मंदिर को भंवाल माता के नाम से जाना जाता है. भंवाल माता को काली माता का स्वरूप माना जाता है और यहां माता को ढाई प्याला शराब का भोग लगाया जाता है.

मंदिर की विशेषता

नागौर जिले के भंवाल गांव में स्थित इस मंदिर की खास बात यह है कि जब पुजारी देवी को चांदी के प्याले में शराब अर्पित करते हैं, तो माना जाता है कि माता शराब का सेवन करती हैं. पुजारी आंखें बंद कर देवी से प्रार्थना करते हैं और कुछ ही समय बाद प्याले से शराब गायब हो जाती है. यह प्रक्रिया तीन बार होती है, और तीसरी बार प्याले में आधा शराब बच जाता है जिससे यह मान्यता है कि माता सिर्फ ढाई प्याला शराब ही ग्रहण करती हैं.

डाकुओं द्वारा बना मंदिर

इस मंदिर का निर्माण डाकुओं द्वारा किया गया था. स्थानीय मान्यता के अनुसार, डाकू एक बार गांव लूटकर यहां छुपे थे. जब राजा की सेना उन्हें पकड़ने आई, तो डाकुओं ने माता से प्रार्थना की. माता ने उनकी रक्षा करते हुए राजा की सेना को भेड़-बकरियों में बदल दिया. इसके बाद, डाकुओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना दिया.

मंदिर की प्राचीनता और मूर्तियां

मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी का माना जाता है, और यह लाल पत्थरों से बना हुआ है. मंदिर के गर्भगृह में ब्रह्माणी माता और काली माता (भंवाल माता) की दो मूर्तियां स्थापित हैं. ब्रह्माणी माता को मीठे प्रसाद का भोग लगाया जाता है, जबकि काली माता को शराब चढ़ाई जाती है. इस मंदिर को राजस्थान के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है और यहां लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. इस प्रकार, भंवाल माता मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं और चमत्कारिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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