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पितृ दोष से हैं परेशान तो करें ये उपाय, दूर हो जाएगी सारी बाधा

अक्सर लोगों पर बेवजह की परेशानियां आती रहती हैं. कई बार लाख प्रयास के बावजूद बरकत नहीं होती है. यह समस्या पितृदोष की वजह से हो सकती है. शास्त्रों में पितृदोष से बचने के उपाय सुझाए गए हैं. कहा गया है कि इन उपायों को करने से इस समस्या का समाधान हो जाता है.

पितृ दोष से हैं परेशान तो करें ये उपाय, दूर हो जाएगी सारी बाधा
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स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Published on: 21 Sept 2024 8:39 AM

अक्सर लोग पितृदोष की समस्या से परेशान नजर आते हैं. इसके निवारण के लिए तमाम उपाय भी करते हैं, लेकिन समाधान नहीं मिल पाता. उत्तर पौराणिक ग्रंथों में पितृदोष से बचने के लिए कुछ उपाय सुझाए गए हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है. इस प्रसंग में आगे बढ़ने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि पितृदोष होता है क्या है? पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक कोई भी वंशज या उत्तराधिकारी जो अपने पूर्वज की सेवा खासतौर पर वृद्धावस्था या असहाय अवस्था में करता है, पूर्वजों का अपमान करता है या फिर पूर्वजों द्वारा स्थापित मर्यादा का उल्लंघन करता है तो उसे पितृदोष लगता है.

इन ग्रंथों के मुताबिक जिस किसी व्यक्ति को पितृदोष लगता है, सबसे पहले तो उसके सामने सांसारिक समस्याएं इतनी आ जाती है कि वह उबर ही नहीं पाता. इसमें सबसे बड़ी समस्या संतान के बीमार रहने, खूब मेहनत करने के बावजूद बरकत ना होने, शुभ कार्यों में बाधा आने और घर में बिना वजह के कलह पैदा होने के रूप में देखने को मिलती है. मान्यता है कि इस तरह के लक्षण नजर आने पर लोगों को पितृदोष से निवृति के उपाय कर लेने चाहिए. शास्त्रों में इसके लिए सबसे बड़ा और अहम उपाय श्राद्ध बताया गया है. गरुड़ पुराण के मुताबिक गया में श्राद्ध कर इस तरह की समस्याओं से सहज ही छुटकारा पाया जा सकता है. हालांकि इसके अलावा भी कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनके करने से हमें पितृदोष से राहत मिलती है.

क्या करें, क्या ना करें

  • पितृदोष से परेशान जातक को घर में अपने पूर्वजों की तस्वीर लगानी चाहिए. यह तस्वीर दक्षिण दीवार पर होनी चाहिए
  • पूर्वजों की तस्वीर के सामने रोज धूप-दीप व अगरबत्ती जलानी चाहिए, ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं
  • पितृ पक्ष में रोज दोपहर में पीपल की पूजा करें और गंगा जल में काला तिल मिलाकर तिलांजलि दें
  • पितृ दोष को बेअसर करने के लिए पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें. यदि यह संभव ना हो तो सप्तमुखी, अष्ठमुखी या बारहमुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं.
  • प्रत्येक अमावस्या पर किसी पवित्र सरोवर या नदी के किनारे जाकर पितरों को पिंडदान करें
  • पितृपक्ष में तामसी खाद्य पदार्थों जैसे मीट मछली आदि के सेवन से परहेज करें
  • घर में सात्विक माहौल बनाकर रखें
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