Nag Panchami 2025: कब है नाग पंचमी, जानिए तिथि, पूजा महत्व और मनाने के पीछे की पौराणिक कथा
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से नागों (सर्पों) की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास की पंचमी तिथि को आता है, जो आमतौर पर जुलाई-अगस्त महीने में पड़ता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है. इस वर्ष नाग पंचमी का त्योहार 29 जुलाई 2025 को मनाया आएगा. नाग पंचमी पर नाग देवता ही पूजा होती है.
हिंदू धर्म में नागों को विशेष रूप से पूजा-आराधना करने का महत्व होता है. नाग भगवान शिव के गले की शोभा है. इस दिन सांपों को दूध और फल अर्पित करके उनकी पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नाग पंचमी पर कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष को दूर करने के लिए विशेष रूप से पूजा करने का विधान होता है. आइए जानते हैं नाग पंचमी की शुभ तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बार में.
नाग पंचमी तिथि 2025
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई को रात 11 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 30 जुलाई की रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. उदया तिथि के आधार पर नाम पंचमी का त्योहार मंगलवार 29 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा.
नाग पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त 2025
नाग पंचमी पर सांपों के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व होता है. 29 जुलाई को नाग पंचमी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 42 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा चौघड़िया के शुभ मुहूर्त की बात करें तो इसका शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 47 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक चलेगा. फिर दोपहर पूजन का शुभ मुहूर्त 12 बजकर 27 मिनट लेकर दोपहर 2 बजकर 09 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा पूजन का अगला शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 51 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 32 मिनट तक रहेगा.
नाग पंचमी का महत्व
हिंदू धर्म में नाग पंचमी के त्योहार का विशेष महत्व होता है. नागपंचमी के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने का विशेष महत्व होता है. नाग पंचमी के दिन सांपों की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव की आराधना करने से सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष दूर होता है और परिवार को सांपों के डर से मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना करने और फिर जरूरतमंद को दान और धन देने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है.
नाग पंचमी की पौराणिक कथा
नाग पंचमी का त्योहार मनाने के पीछे पौराणिक कथा है, जिसके अनुसार राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सापों से बदला लेने और नाग वंश का समूल विनाश के लिए एक यज्ञ किया. दरअसल राजा परीक्षित को तक्षक सांप ने डस लिया जिसे उनकी मृत्यु हो गई. यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था. उन्होंने सावन माह के कृष्ण माह की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी. फिर नागों के जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी. उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा. तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी.