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शिवजी की पूजा में न करें शंख और तुलसी का इस्तेमाल, ये चार चीजें भी भूलकर न करें अर्पित

भगवान शिव की पूजा जितनी सरल मानी जाती है, उतनी ही भावपूर्ण और नियमों से जुड़ी होती है. शिवजी को जल, बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाना बहुत ही शुभ और फलदायी माना गया है. ये वस्तुएं न केवल उनके प्रिय हैं, बल्कि इनसे भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न भी हो जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ चीजें ऐसी भी हैं जिन्हें शिवलिंग पर अर्पित करना शास्त्रों में वर्जित बताया गया है.

शिवजी की पूजा में न करें शंख और तुलसी का इस्तेमाल, ये चार चीजें भी भूलकर न करें अर्पित
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 18 July 2025 12:28 PM IST

सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है. इस माह में शिवजी की विशेष रूप से पूजा-आराधना और जलाभिषेक करने का महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. शिवभक्त भगवान भोलनाथ की कृपा पाने के लिए उनकी प्रिय चीजों को शिवलिंग पर अर्पित करते हैं.

भगवान शिव को जल, बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाना बहुत ही शुभ साबित होता है. वहीं कुछ ऐसी चीजें होती हैं जिसे शिव आराधना और पूजा के दौरान बिल्कुल नहीं अर्पित करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार शिवभक्तों को कभी शिविलिंग भी 6 चीजें नहीं चढ़ानी चाहिए.

केतकी का फूल

केतकी के फूल को कभी भी शिवभक्तों को शिवलिंग पर नहीं अर्पित करना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार केतकी के फूल ने ब्रह्राजी के साथ मिलकर झूठ बोला था, जिस कारण से भगवान शिव ने केतकी के फूल को श्राप दिया कि कभी भी शिवलिंग पर केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा. शिवजी से मिले श्राप के कारण केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाता है.

तुलसी के पत्ते

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय माना जाता है. शिवजी की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. दरअसल भगवान शिव ने तुलसी के असुर पति का वध कर दिया था. इस कारण से शिवजी की पूजा में तुलसी के पत्तों प्रयोग नहीं किया जाता है.

शंख से न करें शिवलिंग का जलाभिषेक

सभी देवी-देवताओं के संग शंख की पूजा होती है लेकिन शिवजी की पूजा में शंख का इस्तेमाल करना वर्जित होता है. दरअसल सभी देवता असुर शंखचूड़ के अत्याचारों से परेशान थे, तब भगवान शिव शंखचूड़ का वध कर किया है. शंखचूड़ के वध के बाद उसका शरीर भस्म हो गया और जिससे शंख की उत्पत्ति हुई. भगवान शिव के हाथों से शंखचूड़ का वध हुआ था, इस कारण से शंख से शिवजी को जल अर्पित नहीं किया जाता है.

शिवलिंग पर नहीं चढ़ता सिंदूर या कुमकुम

भगवान शिव संहारक और विनाशक कहलाए जाते हैं. सिंदूर सौदंर्य और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. इस कारण से शिवलिंग पर कभी भी सिंदूर या कुमकुम नहीं चढ़ाया जाता है.

नारियल का पानी

शिवजी को कभी भी नारियल का पानी नहीं अर्पित करना चाहिए. अन्य दूसरे देवताओं को जो भोग लगाया जाता है उसका प्रसाद ग्रहण करना जरूरी होता है, लेकिन जिन पदार्थों से शिवजी का भोग लगाया जाता है उसको ग्रहण नहीं किया जाता है. इसलिए शिवजो को नारियल का पानी नहीं अर्पित करना चाहिए.

न करें शिवलिंग पर हल्दी अर्पित

शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना जाता है, जबकि हल्दी को स्त्री तत्व का प्रतीक माना जाता है. सभी देवी-देवताओं को हल्दी तो अर्पित की जा सकती है लेकिन शिवजी को अर्पित करना वर्जित होता है.

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