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Magh Gupt Navratri 2025: क्या गुप्त नवरात्रि में की जाती है तंत्र की साधना ? जानें तिथि और महत्व

गुप्त नवरात्रि एक ऐसा अवसर है जब भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत करते हैं. हालांकि यह नवरात्रि सामान्य रूप से एक गुप्त और आंतरिक साधना का समय माना जाता है, जिसमें भक्तों को आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने का अवसर मिलता है.

Magh Gupt Navratri 2025: क्या गुप्त नवरात्रि में की जाती है तंत्र की साधना ? जानें तिथि और महत्व
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( Image Source:  freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 17 Jan 2025 7:30 AM IST

हिंदू धर्म में गु्प्त नवरात्रि का खास महत्व है. यह नवरात्रि माघ के महीन में पड़ती है. इस साल 30 जनवरी से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी.इस समय विशेष रूप से देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और व्रत, उपवास, हवन और मंत्र जप के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और देवी-देवताओं का आशीर्वाद लिया जाता है.

इस दौरान व्रति लोग देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं. चलिए जानते है गुप्त नवरात्रि की तिथि और महत्व.

की जाती है तंत्र-मंत्र की साधना

इस दौरान दुर्गा की 10 महाविद्याओं की गु्प्त तरीके से साधना की जाती है. इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है. इस समय तंत्र साधना की जाती है. गुप्त नवरात्रि में अघोरी और तांत्रिक तंत्र-मंत्र से सिद्धि प्राप्त करते हैं, लेकिन आम लोग सामान्य तरीके से मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं.

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि

  • गुप्त नवरात्रि की पूजा शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आप पूजा के लिए एक उपयुक्त मुहूर्त (सिद्ध मुहूर्त) चुनें. यदि संभव हो तो सूर्योदय से पहले या रात के समय पूजा करें.
  • पूजा स्थान को शुद्ध करें करके नहाएं. इसके बाद मंदिर में दीपक लगाएं. पूजा स्थल पर शुद्धता बनाए रखने के लिए पानी और गंगाजल का छिड़काव करें. देवी की पूजा के लिए फूल और चंदन का उपयोग करें.
  • पूजा के दौरान "ॐ दुं दुर्गायै नमः" या "ॐ महाक्रूरायै नमः" जैसे मंत्रों का जाप करें. इन मंत्रों के माध्यम से देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ध्यान रखें कि मंत्रों का जाप पूरे मन से और एकाग्रता के साथ करें. यदि संभव हो तो रोजाना 108 बार मंत्र का जाप करें. सिद्ध मंत्र का जाप करें, जैसे "ॐ श्री दुर्गायै नमः" या "ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः".
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