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महाकाल की भस्म आरती में श्मशान की राख! आखिर क्या है इसके पीछे की सच्चाई?

महाकालेश्वर मंदिर में आरती के दौरान भस्म का उपयोग होता है. इस दौरान भस्म को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है और यह भक्तों के लिए एक तात्त्विक अनुभव है. भस्म का चढ़ना आत्मशुद्धि और पापों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है.

महाकाल की भस्म आरती में श्मशान की राख! आखिर क्या है इसके पीछे की सच्चाई?
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( Image Source:  Instagram/jay.mahakaleshwar.mandir_ )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 7 Dec 2024 5:15 PM IST

हिंदू धर्म में महाकाल में होने वाली भस्म आरती का खास महत्व है, जो विशेष रूप से उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में होती है. यह आरती शिवभक्तों के लिए एक पवित्र और अद्भुत अनुभव मानी जाती है. इसे भस्म आरती भी कहा जाता है. इस आरती का आयोजन मंदिर में हर दिन सुबह महाकालेश्वर के दर्शन के समय होता है.

भस्म आरती में भगवान महाकालेश्वर के ऊपर भस्म चढ़ाई जाती है, जो शरीर के नश्वरता और आत्मा की अमरता का प्रतीक है. यह आरती यह सिखाती है कि जीवन की भव्यता और मुक्ति भौतिक वस्तुओं में नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना और नैतिक शुद्धता में है. चलिए जानते हैं क्या आरती में श्मशान की राख का इस्तेमाल किया जाता है?

शिव का सबसे शक्तिशाली रूप

महाकाल भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक माने जाते हैं. भस्म आरती शिव के कालों समय और मृत्यु के नियंता के रूप में उनकी अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है. यह आरती मृत्यु के बाद के जीवन के महत्व और उसे पार करने की क्षमता को व्यक्त करती है.

मिलती है पापों से मुक्ति

भस्म को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. इसे महाकालेश्वर के दर्शन में चढ़ाकर भक्त अपने पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं, जिससे आत्मा को शांति और शक्ति मिलती है. भस्म आरती शिव की विशेष उपासना होती है, जो भक्तों के दिलों में शिव के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास को जागृत करती है. शिव को तप, त्याग और साधना का प्रतीक माना जाता है और भस्म आरती में यह सब तत्व समाहित होते हैं.

कैसे बनती है भस्म?

पौराणिक कथाओं की मानें, तो पहले के समय में महाकाल की आरती के लिए श्मशान से भस्म लाई जाने की प्रथा थी, लेकिन वक्त के साथ इस रिवाज में बदलाव आया. अब श्मशान की जगह भस्म बनाई जाती है. आज के समय में आरती या श्रृंगार महाकाल की भस्म बनाने के लिए कपिला गाय के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है. शमी, पीपल, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाया जाता है. इसके बाद इसे गोबर के उपलों में मिलाया जाता है.

भस्म बनाने के लिए इन चीजों के अलावा अन्य प्रकार की जड़ी बूटियों का भी उपयोग होता है. वहीं, भस्म को खुशबूदार बनाने के लिए इसमें कपूर और गुग्गुल मिलाया जाता है.

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