Mahabharat Katha: आखिर क्या है केवल 18 दिन महाभारत युद्ध चलने का कारण?
महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण ने पांडवों का समर्थन किया और उनका रणनीतिक, मानसिक और नैतिक रूप से मार्गदर्शन दिया. वे अर्जुन के रथ पर सारथी बने और युद्ध के दौरान उन्हें भगवद गीता का उपदेश दिया.

महाभारत का युद्ध जिसे कुरुक्षेत्र युद्ध भी कहा जाता है. यह युद्ध पांडवों और कौरवों के बीच हुआ था और इसे प्राचीन भारत का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण युद्ध माना जाता है. महाभारत के युद्ध की पृष्ठभूमि, कारण और घटनाएं बेहद जटिल और गहरी हैं, जो धर्म, अधर्म, रिश्तों और नीतियों के संघर्ष को दर्शाती हैं.
पांडवों के पिता पांडु थे, जबकि कौरवों के पिता धृतराष्ट्र थे. धृतराष्ट्र अंधे थे. वह पांडु की मृत्यु के बाद पांडवों को राज्य का उत्तराधिकारी माना गया. लेकिन धृतराष्ट्र का बेटा दुर्योधन पांडवों से नाराज था और उसने खुद का राजा बनाने का सपना देखा.
धोखे से जुए में हराया
पांडवों ने कौरवों के साथ मिलकर अपनी भूमि पर शासन किया, लेकिन कौरवों ने उन्हें धोखे से जुए के खेल में हराया. पांडवों को उनके राज्य से बाहर निकाल दिया गया और उन्हें 13 वर्षों का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास करना पड़ा. इस घटना के बाद पांडवों का निर्णय था कि वे अपना राज्य वापस लेंगे और यही युद्ध का कारण बना.
क्या है 18 संख्या का महाभारत से संबंध?
भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को युद्ध में मार्गदर्शन दिया. उन्होंने पांडवों को धर्म का पालन करने की सलाह दी और कौरवों के अधर्म को समाप्त करने की योजना बनाई. महाभारत में 18 संख्या का खास महत्व है. बता दें कि महाभारत ग्रंथ कुल 18 अध्याय हैं. वहीं, श्री कृष्ण ने अर्जुन को 18 दिन गीता का ज्ञान दिया था. इसके अलावा, कौरवों की सेना में 18 अक्षोहिनी योद्धा थे. वहीं, जब युद्ध खत्म हुआ, तो इसमें 18 लोग ही जीवित बचे थे.
आखिर केवल 18 दिन तक चला युद्ध?
महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास ने गणेश जी की मदद से महाभारत को 18 दिनों में पूरा किया था. इस ग्रंथ के लिखे जाने तक यह ऐतिहासिक युद्ध नहीं हुआ था. जबकि महर्षि ने इस युद्ध की कल्पना पहले ही कर ली थी.
महाभारत ग्रंथ के 18 अध्यायों को 18 दिन में लिखा गया, यानी हर अध्याय में एक दिन की घटनाएं वर्णित हैं. सरल शब्दों में कहें तो, हर अध्याय में जो घटनाएं वर्णित हैं. वही घटनाएं युद्ध के दौरान असल में उसी दिन घटी थीं और इस तरह महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला.