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महर्षि वाल्मीकि नहीं हनुमान जी हैं रामायण के रचयिता, आखिर क्यों पवन पुत्र ने समुद्र में फेंक दिया था ग्रंथ

रामायण हिन्दू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है, जिसे महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखा. यह ग्रंथ भगवान राम के जीवन और उनके संघर्षों का वर्णन करता है. रामायण को कुल 7 कांडों (अध्यायों) में विभाजित किया गया है और इसमें 24,000 श्लोक होते हैं. रामायण केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह धर्म, नीति, भक्ति, और कर्तव्य का मार्गदर्शन करने वाला एक अद्भुत ग्रंथ है.

महर्षि वाल्मीकि नहीं हनुमान जी हैं रामायण के रचयिता, आखिर क्यों पवन पुत्र ने समुद्र में फेंक दिया था ग्रंथ
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( Image Source:  Meta AI )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 5 Dec 2025 5:21 PM IST

यह बात हम सभी जानते हैं कि रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि हैं. वहीं, लेकिन इस बात से भी काफी लोग अनजान हैं कि सबसे पहले भगवान हनुमान ने रामायण की रचना की थी. इस बात उल्लेख शास्त्रों और पोराणिक कथाओं में मिलता है. जहां बताया गया है कि हनुमान जी ने अपने नाखूनों से रामायण को समुद्र में फेंक दिया था. चलिए जानते हैं आखिर भगवान ने ऐसा क्यों किया?

मान्यता है कि रावण के वध के बाद भगवान राम अयोध्या में अपना राज संभाल रहे थे. तब, हनुमान जी श्रीराम से आज्ञा लेकर कैलाश पर्वत की ओर पधारे. इस दौरान उन्होंने घोर तपस्या की. वह श्री राम की भक्ति में इतने लीन हो गए थे कि उन्होंने शिला पर अपने नाखून से रामायण लिखनी शुरू की.

महर्षि वाल्मीकि पहुंचे कैलाश धाम

दूसरी ओर महर्षि वाल्मीकि ने भी रामायण लिख ली थी, जिसे सौंपने वह कैलाश धाम भोलेनाथ के पास गए. वहां वाल्मीकि की नजर हनुमान जी पर पड़ी, जिनके पास रामायण थी. ऐसे में वह यह देख हैरान हो गए थे. वाल्मिकी जी ने जब हनुमान जी की लिखी हुई रामायण के एक-एक छंद पढ़े, तो वह बेहद प्रसन्न हुए. साथ ही, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि उनके द्वारा लिखी हुई रामायण का कोई स्थान नहीं.

वाल्मीकि जी के छलक पड़े आंसू

यह बात जान की वाल्मीकि जी को रामायण बेहद पसंद आई है, तो हनुमान जी बेहद खुश हो गए. वह सोचने लगे कि जब यह रामायण भगवान राम पढ़ेंगे, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं होगा. यह सोचते हुए हनुमान जी शंकर भगवान को रामायण सौंपने वाले थे कि इतने ही देर में वाल्मीकि जी के आंखों से आंसू छलक पड़े.

इस कारण से सुमद्र में फेंकी रामायण

महर्षि वाल्मीकि के आंसू देख हनुमान जी का मन में सोचा कि उनकी द्वारा लिखी हुई रामायण क्लिष्ट संस्कृत भाषा में लिखी हुई है, लेकिन दूसरी ओर वाल्मीकि की रामायण सरल संस्कृत में लिखी गई है. वहीं, रामायण से समाज का फायदा तब होगा जब लोग इसे आसानी से समझ पाए. इस कारण से हनुमान जी ने अपने नाखूनों से लिखी रामायण को समुद्र में फेंक दिया था.

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