Bohag Bihu 2025: असम में कब मनाया जाएगा बिहू? जानें क्या है इस त्यौहार की खासियत
बोहाग बिहू का कृषि से गहरा संबंध है. यह त्योहार किसानों के लिए नई फसल की शुरुआत है. इस दौरान, खेतों में हल चलाने की परंपरा भी है. इसके अलावा, इस दिन असमिया लोग जैसे ढोल, बांसुरी, पेपा, गगना और ताल के साथ बिहू डांस भी करते हैं.

असम में साल में तीन बिहू मनाए जाते हैं. इनमें रोंगाली बिहू या बोहाग बिहू (अप्रैल), काटी बिहू या कोंगाली बिहू (अक्टूबर) और माघ बिहू या भोगाली बिहू शामिल हैं. यह तीनों बिहू बीज बोने के समय, पौधों की बुवाई और रोपाई और कटाई के खत्म होने का प्रतीक हैं.
असम में बोहाग बिहू का त्यौहार मनाया जाता है. इसे रोंगाली बिहू भी कहा जाता है. यह दिन वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और असम में नए साल की शुरुआत भी मानी जाती है.
कब है बोहाग बिहू?
यह त्यौहार सात दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें अलग-अलग रीति-रिवाज और परंपराएं निभाई जाती हैं. इस साल 14 अप्रैल से बोहाग बिहू के त्यौहार की शुरुआत होगी.
बोहाग बिहू में क्या होता है?
- बोहाग बिहू की शुरूआत राति बिहू से होती है. यह छोट महीने की पहली रात को शुरू होता है. इसमें किसी पुराने पेड़ के नीचे या जलती हुई मशालों से रोशन किया जाता है.
- छोट बिहू चरण फेज छोट माह के दूसरे दिन से शुरू होता है और इस दिन बिहू गाने गाए जाते हैं और डांस किया जाता है.
- गोरू बिहू में गायों की पूजा की जाती है. जहां पहले दिन मवेशियों को नहलाया जाता है, उन्हें सजाया जाता है और फिर उन्हें खाना दिया जाता है.
- मनुह बिहू में लोग नए कपड़े पहनते हैं. बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं और एक-दूसरे को गामुसा एक प्रकार की पारंपरिक कपड़े की पट्टी भेंट करते हैं.
- कुतुम बिहू के दिन सभी लोग इकट्ठा होते हैं और एक-साथ ट्रेडिशनल खाने का आनंद लेते हैं.
- मेला बिहू में अलग-अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसमें लोक संगीत, नृत्य और खेल शामिल हैं. व
- हीं, आखिरी दिन चेरा बिहू पर र लोग एक-दूसरे से मिलकर शुभकामनाएं देते हैं.
बोहाग बिहू का महत्व
यह त्योहार नए साल की शुरुआत को दर्शाता है. लोग अपने घरों की सफाई करते हैं. नए कपड़े पहनते हैं और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं. यह खेती-बाड़ी से भी जुड़ा त्योहार है. किसान इस समय खेतों की तैयारी करते हैं और अच्छी फसल के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं.