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Khatu Shyam Birthday 2024: जानें कैसे पांडव पुत्र बर्बरीक बने कलियुग के पूजनीय भगवान खाटू श्याम

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है, के दिन खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 12 नवंबर 2024 को खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाएगा.

Khatu Shyam Birthday 2024: जानें कैसे पांडव पुत्र बर्बरीक बने कलियुग के पूजनीय भगवान खाटू श्याम
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( Image Source:  statemirrornews )
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 18 Nov 2025 1:30 PM IST

Khatu Shyam Birthday 2024: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है, के दिन खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इस वर्ष 12 नवंबर 2024 को खाटू श्याम का जन्मदिन मनाया जाएगा. खाटू श्याम जी को कलियुग के भगवान कहा जाता है, क्योंकि उनके भक्तों की श्रद्धा अटूट है. राजस्थान के सीकर में स्थित उनके प्रसिद्ध मंदिर में हर साल लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति कठिनाइयों में घिरा होता है, उसे खाटू श्याम जी की पूजा करनी चाहिए.

महाभारत काल से खाटू श्याम का संबंध

पौराणिक कथा के अनुसार, खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था, जो कि महाबली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. बर्बरीक एक महान योद्धा और अद्वितीय धनुर्धर थे. उन्होंने कठोर तपस्या के बल पर मां दुर्गा से तीन दिव्य बाण प्राप्त किए थे. उनकी वीरता और मायावी शक्तियां अद्वितीय थीं.

महाभारत युद्ध के समय, बर्बरीक ने संकल्प लिया था कि वह उसी पक्ष से लड़ेगा जो युद्ध में हार रहा होगा. जब वह युद्ध के मैदान की ओर बढ़े, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी शक्तियों की गंभीरता को समझा. यदि बर्बरीक कौरवों का साथ देते, तो पांडवों की हार निश्चित थी. इसलिए श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धरकर बर्बरीक से उसका शीश मांगा. बर्बरीक ने पहचान लिया कि यह साधारण ब्राह्मण नहीं हैं, बल्कि स्वयं श्रीकृष्ण हैं.

बर्बरीक का बलिदान और वरदान

बर्बरीक ने खुशी-खुशी अपना शीश श्रीकृष्ण को दान कर दिया. उनके इस अद्वितीय बलिदान से श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे 'खाटू श्याम' के नाम से पूजे जाएंगे. जो भी भक्त उनके चरणों में श्रद्धा से आएगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. इसलिए आज भी खाटू श्याम के मंदिर में आने वाला हर भक्त खाली हाथ नहीं लौटता.

इस प्रकार, खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव उनके अद्वितीय बलिदान और भक्ति की कहानी को संजोए हुए मनाया जाता है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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