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Hariyali Amavasya 2025: कब है हरियाली अमावस्या? इन चीजों को दान करने से होंगे दुख दूर

हरियाली अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास (सावन) की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. इस दिन पितरों की पूजा के साथ-साथ भोलेनाथ की भी अराधना करने का रिवाज है. हरियाली अमावस्या पर वृक्षारोपण और दान करना चाहिए.

Hariyali Amavasya 2025: कब है हरियाली अमावस्या? इन चीजों को दान करने से होंगे दुख दूर
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 19 July 2025 6:02 PM IST

सावन के महीने में कई व्रत-त्योहार आते हैं, जिनमें से एक हरियाली अमावस्या का पर्व भी है. हिंदू धर्म में श्रावण माह का विशेष महत्व होता है. यह महीना भगवान शिव का सबसे ज्यादा प्रिय महीना होता है जिसके चलते शिवभक्त भोलेनाथ की पूजा-उपासना करते हैं. पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और जिसका समापन 09 अगस्त 2025 को होगा. रक्षाबंधन सावन महीने का अंतिम त्योहार होता है. श्रावण माह में एक व्रत हरियाली अमावस्या आता है जिसे श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.

इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, पितरों को तर्पण और शिवजी का जलाभिषेक किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन तर्पण और शिवजी का जलाभिषेक करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

हरियाली अमावस्या तिथि 2025

पंचांग के अनुसार, सावन माह की अमावस्या तिथि 24 जुलाई 2025 को रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी, वहीं इस तिथि का समापन 25 जुलाई 2025 को दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या 24 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी. हरियाली अमावस्या पर खासतौर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान होता है. इसके अलावा इस दिन वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण को प्रोत्साहित किया जाता है.

धार्मिक महत्व

श्रावण माह की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस अमावस्या तिथि पर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-आराधना करने का सबसे शुभ और श्रेष्ठ दिन माना जाता है. हरियाली अमावस्या पर जहां एक तरफ पितरों को तर्पण दिया जाता है वहीं दूसरी तरफ इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.

पूजा विधि

सबसे पहले अमावस्या तिथि पर जल्दी उठकर नित्यकर्म करके स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें. इसे बाद घर के पास के मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करे और बेलपत्र, भांग और शमी के पत्ते अर्पित करें. घर आकर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करते हुए पूजा का संकल्प लें. इसके बाद ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें. धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें. 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें. शिव पुराण के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

वृक्षारोपण और दान करे

हरियाली अमावस्या के दिन वृक्षारोपण का विशेष महत्व है. इस दिन पेड़-पौधे लगाने से पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ धार्मिक पुण्य की प्राप्ति होती है. इससे साथ ही हरियाली अमावस्या पर दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है. अन्न, वस्त्र, और धन का दान करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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