खुले बालों में भोजन बनाने से हो सकता है अनर्थ! जानें क्या कहता है शास्त्र
भोजन बनाने को भारतीय शास्त्रों में पूजा जैसा पवित्र कार्य माना गया है. भोजन न केवल हमारी शारीरिक ऊर्जा का स्रोत है बल्कि इसका प्रभाव हमारे मन और आत्मा पर भी पड़ता है.

Indian cooking traditions: भोजन बनाने को भारतीय शास्त्रों में पूजा जैसा पवित्र कार्य माना गया है. भोजन न केवल हमारी शारीरिक ऊर्जा का स्रोत है बल्कि इसका प्रभाव हमारे मन और आत्मा पर भी पड़ता है. भोजन बनाने से जुड़ी कई परंपराएं और नियम शास्त्रों में बताए गए हैं. इनमें से एक है बाल बांधकर भोजन बनाना. आइए जानें शास्त्रों, विज्ञान और पौराणिक मान्यताओं के आधार पर बाल खोलकर भोजन न बनाने के पीछे की वजह.
बाल बांधकर भोजन बनाना
- भोजन को शुद्ध और सात्विक बनाए रखने के लिए स्वच्छता का पालन आवश्यक है.
- खुले बालों से बाल गिरने की संभावना रहती है, जिससे भोजन अशुद्ध हो सकता है.
- बालों में मौजूद गंदगी और पसीना भोजन को दूषित कर सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
क्यों बाल बांधकर बनाना चाहिए भोजन
शास्त्रों में भोजन को देवताओं का प्रसाद माना गया है. खुले बाल नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं. भोजन बनाते समय खुले बाल घर और भोजन में नकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं. धार्मिक मान्यता है कि खुले बालों में बनाई गई रसोई देवी-देवताओं को स्वीकार्य नहीं होती. ऐसा भोजन पितरों को अर्पित करने से पितृ दोष का खतरा होता है.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं में खुले बालों को क्रोध और अशांति का प्रतीक माना गया है. महाभारत में द्रौपदी ने अपने खुले बालों को प्रतिशोध का प्रतीक बनाया था. रामायण में कैकेयी ने क्रोध व्यक्त करने के लिए बाल खोलकर कोप भवन में प्रवेश किया था. खुले बालों में पसीना, धूल और अन्य गंदगी भोजन में गिर सकती है. इससे खाने वाले व्यक्ति की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में हमेशा सावधानी बरतें की कभी भी बाल खोलकर खाना न बनाएं जिससे जीवन में दिक्कत हो.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.