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6 जुलाई से चातुर्मास शुरू, इतने दिनों तक वर्जित होंगे शुभ काम, जानिए इस दौरान क्या करें और क्या नहीं

हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है. चातुर्मास के चार महीने की अवधि बहुत ही खास होती है. ये चार महीने श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक के होते हैं. इन महीनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष भगवान विष्णु जो कि सृष्टि के पालनहार हैं वे अपने एक वचन को पूरा करने के लिए चार महीनों के लिए पाताल लोक में निवास करते हैं.

6 जुलाई से चातुर्मास शुरू, इतने दिनों तक वर्जित होंगे शुभ काम, जानिए इस दौरान क्या करें और क्या नहीं
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 5 July 2025 6:10 PM IST

इस वर्ष 06 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहे हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं उस दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है. चातुर्मास के चार महीने सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा में होते हैं और क्षीर सागर में माता लक्ष्मी संग निवास करते हैं. हिंदू धर्म में चातुर्मास के प्रारंभ होने पर सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य थम जाते हैं.

यह हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक माह की एकादशी तिथि तक चलता है. चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी एकादशी के दिन से होती है, जिसे हरिशयनी, पद्यनाभा एकादशी और आषाढ़ी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. 06 जुलाई से चातुर्मास शुरू होने वाला है ऐसे में आइए जानते हैं इस दौरान क्या करना चाहिए और क्या नहीं और इसका महत्व.

चातुर्मास का महत्व और क्यों नहीं करते शुभ काम?

इस दौरान जब आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आती है तो भगवान विष्णु आगे चार महीने क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने के साथ मां लक्ष्मी समेत सभी देवी-देवता भी योग निद्रा में होते हैं. इस दौरान सृष्टि का संचालन भगवान महादेव के हाथों में आ जाता है. फिर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भवगान अपनी योग निद्रा से जागते हैं. भगवान विष्णु के योग निद्रा में रहने के कारण इस अवधि के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है.

चातुर्मास में क्या ना करें

चातुर्मास के चार महीनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. इस दौरान कोई भी शुभ काम या नए काम की शुरुआत करना अच्छा नहीं माना जाता है. चातुर्मास के दौरान विवाह, गृहप्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन संस्कार, और उपनयन संस्कार आदि करना वर्जित होता है. चातुर्मास के दौरान यात्रा करना भी वर्जित माना जाता है. इसके अलावा चातुर्मास के दौरान दही, मूली, बैंगन और साग का सेवन भी नहीं करना चाहिए. वहीं इस दौरान किसी के साथ बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए. झूठ, छल, कपट और नशे से दूर रहना चाहिए.

चातुर्मास में क्या करना शुभ

चातुर्मास में सृष्टि के संचालनकर्ता और पालनहार भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं ऐसे में इस दौरान भगवान की भक्ति, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन, व्रत-साधना, तप और सेवा करना पुण्य लाभकारी साबित होता है. इससे जीवन में शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है. चातुर्मास के दौरान गरीबों और जरूरतमंद को दान करना शुभ होता है. चातुर्मास के दौरान व्रत अवश्य करें. इसके साथ बिस्तर पर सोने से परहेज करें और भूमि पर सोएं. इन चार महीनों के दौरान सूर्योदय से पहले उठ जाएं. और ब्रह्राचर्य का पालन करें. दिन में एक बार ही भोजन करें. ध्यान, योग के साथ-साथ सत्संग में हिस्सा लें.

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