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Chandra Grahan 2025: ब्लड मून ने क्या बदला? किसे फायदा, किसे नुकसान; पढ़ें पूरा हिसाब-किताब

रविवार की रात भाद्रपद पूर्णिमा पर लगा चंद्र ग्रहण 2025 पूरे भारत में चर्चा का विषय बन गया. आसमान में लालिमा लिए चांद का यह नजारा अद्भुत और रहस्यमयी था. इस दौरान मंदिरों के पट बंद रहे और श्रद्धालु घरों में भजन-कीर्तन व मंत्रोच्चारण में लीन दिखे. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह खग्रास चंद्रग्रहण 122 साल बाद हुआ और इसका असर 15 दिन तक रह सकता है. वहीं वैज्ञानिकों ने इसे पृथ्वी की छाया से जुड़ी सामान्य खगोलीय घटना बताया, जिसे लोग ब्लड मून कहते हैं. परंपरा के अनुसार, ग्रहण के बाद स्नान-दान और शुद्धिकरण की रस्में निभाई गईं. आस्था और विज्ञान के इस संगम ने लोगों को एक अनोखा अनुभव दिया, जिसकी चर्चा लंबे समय तक जारी रहेगी.

Chandra Grahan 2025: ब्लड मून ने क्या बदला? किसे फायदा, किसे नुकसान; पढ़ें पूरा हिसाब-किताब
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Published on: 8 Sept 2025 8:07 AM

रविवार की रात आसमान पर घटित चंद्र ग्रहण 2025 ने पूरे देशवासियों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. भाद्रपद पूर्णिमा पर लगे इस पूर्ण चंद्रग्रहण को लोगों ने न केवल खगोलीय चमत्कार के रूप में देखा, बल्कि इसे एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव की तरह भी महसूस किया.

जैसे ही चांद पर पृथ्वी की छाया पड़ी और वह लालिमा से ढंका नज़र आने लगा, देश के सभी शहरों की गलियों और मंदिरों में सन्नाटा पसर गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान मंदिरों के पट बंद कर दिए गए थे और श्रद्धालु घरों में भजन-कीर्तन तथा मंत्रोच्चारण में लीन रहे.

ज्योतिषाचार्यों ने क्या बताया?

ग्रहण के समय सबसे रोचक नज़ारा टीवी स्क्रीन पर दिखा, जहां वैज्ञानिक और ज्योतिषी आमने-सामने अपनी-अपनी बात रखते नजर आए. कुछ विशेषज्ञों ने इसे केवल प्राकृतिक खगोलीय घटना बताया, जबकि ज्योतिषाचार्यों ने इसे पितृपक्ष में विशेष प्रभाव डालने वाला संयोग करार दिया. लोगों ने पूरे ग्रहण काल को ध्यान से देखा और समझा, जिससे टीवी स्क्रीन आस्था और विज्ञान दोनों का संगम बन गई.

जानें फायदा-नुकसान

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह ग्रहण कई राशियों के लिए शुभ फल लेकर आया तो कुछ को सतर्क रहने का संकेत भी दे गया. जहां कुछ राशि वालों को करियर, धन और रिश्तों में सकारात्मक बदलाव की संभावना है, वहीं अन्य के लिए यह चुनौतियों और संघर्ष का समय साबित हो सकता है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह सिर्फ एक खगोलीय घटना रही, लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार इसका असर अगले 15 दिनों तक बना रहेगा. कुल मिलाकर, ब्लड मून ने लोगों को लाभ और हानि का ऐसा संगम दिखाया, जिसने पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर दिया.

दुर्लभ संयोग और संभावित असर

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह ग्रहण लगभग साढ़े तीन घंटे तक चला और 122 साल बाद ऐसा संयोग बना. कहा गया कि इसका प्रभाव लगभग 15 दिन तक रह सकता है, जबकि शुरुआती 48 घंटे विशेष रूप से महत्वपूर्ण होंगे. इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, जल प्रलय या सामाजिक-राजनीतिक घटनाओं में बदलाव की संभावना जताई गई. विशेषकर शनि और गुरु की गति इस समय विश्व स्तर पर उथल-पुथल का संकेत दे सकती है.

क्यों दिखा ब्लड मून?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो उसकी छाया चांद पर पड़ती है. इस दौरान चंद्रमा लालिमा लिए दिखाई देता है, जिसे लोग ब्लड मून कहते हैं. यह घटना पूरी तरह से खगोलीय है और इसमें किसी भी प्रकार का धार्मिक दोष नहीं माना जाता.

आध्यात्मिकता और परंपराओं का पालन

देश में में ग्रहण के दौरान लोगों ने धार्मिक परंपराओं का पालन किया. घरों में भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण हुए, जबकि बड़े-बुजुर्ग बच्चों को ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं समझाते नजर आए. परंपरा के अनुसार, ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान-दान और शुद्धिकरण की रस्में भी निभाई गईं. इससे यह साबित होता है कि विज्ञान और आस्था, दोनों ही भारतीय समाज के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं.

वर्षों तक होगी चर्चा

रविवार की रात का यह चंद्रग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं था, बल्कि आस्था, परंपरा और विज्ञान का अनोखा संगम बन गया. चांद के लाल हो जाने का अद्भुत नजारा और मंदिरों का सन्नाटा लोगों की यादों में लंबे समय तक जीवंत रहेगा. नवरात्र के आरंभ तक इसका असर सामान्य हो जाएगा, लेकिन इस ग्रहण की चर्चा आने वाले वर्षों तक होती रहेगी.

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