Chaitra Navratri 2025: संतान सुख के लिए कैसे करें स्कन्दमाता को प्रसन्न
स्कन्दमाता को तुलसी के पत्ते चढ़ाने से विशेष आशीर्वाद मिलता है. आप पूजा के दौरान तुलसी के पत्ते अर्पित कर सकते हैं. पूजा में चावल अर्पित करें, क्योंकि यह शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक है

चैत्र नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है. एक चैत्र माह में यानी मार्च अप्रैल में और दूसरा आश्विन माह में सितंबर/अक्टूबर में. चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन स्कन्दमाता की पूजा की जाती है. स्कन्दमाता देवी दुर्गा का रूप हैं. वह भगवान कार्तिकेय की माता हैं.
स्कन्दमाता का जन्म भगवान शिव और देवी पार्वती के संयुक्त रूप में हुआ था और वे देवी पार्वती के रूप में भगवान शिव के साथ महाक्रूर राक्षसों से युद्ध के लिए अपने पुत्र कार्तिकेय को उत्पन्न करने के लिए प्रकट हुई थीं. चलिए ऐसे में जानते हैं संतान सुख के लिए मां को कैसे प्रसन्न करें.
स्कन्द की उत्पत्ति
स्कन्दमाता का रूप विशेष रूप से भगवान कार्तिकेय के जन्म से जुड़ा हुआ है. स्कन्दमाता के रूप में देवी पार्वती ने भगवान शिव से आशीर्वाद लेकर कार्तिकेय को जन्म दिया. भगवान कार्तिकेय को कारागृह के लिए जन्म देने के लिए देवी पार्वती ने उन्हें अपनी गोदी में लेकर पालन किया. इसलिए स्कन्दमाता का शाब्दिक अर्थ स्कन्द की माता है.
स्कन्दमाता की पूजा
स्कन्दमाता का पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के पांचवे दिन होती है. जब विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है. इस दिन भक्तों द्वारा स्कन्दमाता को उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय के साथ पूजा जाता है.
स्कन्दमाता को कैसे प्रसन्न करें
स्कन्दमाता के मंत्र का नियमित जाप बहुत प्रभावी माना जाता है. "ॐ स्कन्दमातायै नमः" मंत्र का जाप कम से कम 108 बार दिन में करें. अगर संभव हो तो इसे 1008 बार भी करें. मंत्र जाप से मन की शांति और देवी की कृपा दोनों प्राप्त होती है .
स्कन्दमाता की आरती
स्कन्दमाता की आरती करने से भी संतान सुख प्राप्त होता है. आरती के दौरान माता से संतान सुख की प्राप्ति की प्रार्थना करें. उदाहरण के लिए: जय स्कन्दमाता जगत पालनहारी, सागर सुत कर कृपा करें हमारी. आरती के दौरान श्रद्धा से मां को याद करें और प्रार्थना करें कि वे आपको संतान सुख का आशीर्वाद दें.