कब है आषाढ़ अमावस्या? जानिए तिथि, शुभ योग और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
आषाढ़ अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह आषाढ़ माह (जून–जुलाई के बीच) के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को आती है, यानी जब चंद्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है. इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा स्नान, तर्पण और पिंडदान करते हैं

हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या का विशेष महत्व होता है. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. इस तिथि पर पितरों को तर्पण देना, पूजा, ध्यान, गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है. पितरों के लिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और श्राद्ध करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
ऐसे मान्यता है आषाढ़ अमावस्या पर पितरों को तर्पण देने से उनका आशीर्वाद मिलता है और इस दिन दान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कब है आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि और क्या है इसका महत्व.
आषाढ़ अमावस्या शुभ योग और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 जून को शाम 7 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी और 25 जून को शाम 04 बजकर 02 मिनट पर खत्म होगी जाएगी. ऐसे में 25 जून को आषाढ़ अमावस्या मनाई जाएगी. इस तरह से पितरों को तर्पण और पूजा करने के लिए 25 जून का दिन अच्छा होगा. इसके अलावा इस दिन कई तरह के शुभ योगों का निर्माण भी देखने को मिलेगा. इस दिन वृद्धि, वेशी और गुरु-आदित्य योग का शुभ संयोग बनेगा. ऐसे में इस दिन पितरों को तर्पण और दान करना बहुत ही शुभ और फलदायी साबित होगा.
करें ये उपाय
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि की विशेष महत्व होता है. यह तिथि पितरों को समर्पित होती है. ऐसे में आषाढ़ अमावस्या तिथि पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस तिथि पर गरीबों को दान, गाय, चींटी और कौवें को रोटी खिलाना शुभ होता है. वहीं इस दिन गंगा स्नान और पितरों को तर्पण देने के बाद ब्राह्राणों को दान करना बहुत ही पुण्यकारी होगा. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए. वहीं इस दिन बाल और नाखून काटने से बचना होगा. अमावस्या तिथि पर घर के प्रमुख कोनों में घी का दीपक जलाएं. पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और दीया जलाकर उसकी 7 बार परिक्रमा करनी चाहिए. वहीं बहते हुए पवित्र नदी में फूल और दीया प्रवाहित करना और पितृ स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही शुभ होता है.
तर्पण और दान के लिए शुभ समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि पर पितरों की पूजा और तर्पण देने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा इस दिन पितृदोष से मुक्ति भी मिलती है. आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह 5 बजे से लेकर 11 बजे तक स्नान, दान, पूजा-पाठ करने का समय शुभ रहेगा.