रामभक्त हनुमानजी ने क्यों धारण किया पंचमुखी रूप? जानिए इनके इस स्वरूप का महत्व और पूजा विधि
हनुमानजी का पंचमुखी (पंचमुखा) रूप हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में एक अत्यंत शक्तिशाली और रहस्यमय रूप माना जाता है. यह रूप विशेष रूप से उस समय प्रकट हुआ जब हनुमानजी को एक विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए अद्भुत शक्तियों की आवश्यकता थी.

हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को संकटमोचन, पराक्रमी, साहसी, बलशाली, सिद्धिदाता, ज्ञानी, कष्टों को दूर करने और कलयुग का देवता माना जाता है. हिंदू धर्म में यह बहुत ही पूजनीय देवता हैं. बजरंगबली भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हैं और कलयुग में आज भी पृथ्वी पर वास करते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं.
हनुमानजी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है और इनकी पूजा सबसे ज्यादा मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी ऐसे देवता हैं जो भक्तों की पूजा करने पर बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनकी हर एक परेशानियों का अंत करते हैं. शास्त्रों में हनुमानजी की वीरता और साहस की अपने कथाएं प्रचलित हैं. इन्हीं कथाओं में एक है हनुमानजी के पंचमुखी अवतार से जुड़ी कथा की. आइए जानते हैं कलयुग के देवता और नकारात्मक शक्तियों का नष्ट करने वाले हनुमानजी के पंचमुखी अवतार की.
हनुमानजी ने क्यों लिया पंचमुखी अवतार?
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम और रावण के बीच लंका पर विजय प्राप्ति के लिए युद्ध चल रहा था, तब रावण की सेना प्रभु राम और उनकी वानर सेना से हार रही थी, तब रावण ने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए अपने मायावी भाई अहिरावण की मदद ली थी. रावण का भाई अहिरावण तंत्र-मंत्र की विद्या का महान ज्ञाता और मां भवानी का बहुत बड़ा भक्त था. अहिरावण ने अपनी विद्या का इस्तेमाल करके भगवान राम और लक्ष्मण समेत पूरी वानर को नींद में सुला दिया था और भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण करके पाताल लोक में ले जाकर बंदी बना लिया था. अहिरावण मां दुर्गा का बहुत बड़ा भक्त था और उसे एक वरदान मिला था कि उसे मारने से पहले पांचों दिशाओं में जल रहे दीपक को एक साथ बुझाना होगा. तब हनुमानजी ने प्रभु राम और लक्ष्मण को बचाने के लिए पंचमुखी रूप धारण करके पांचों दीपक को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया फिर भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त करवाया था.
इस स्वरूप का महत्व
- पहला मुख-वानर स्वरूप
- पंचमुखी हनुमानजी के स्वरूप में पहला मुख वानर है, जो पूर्व दिशा की ओर है और शास्त्रों में माना जाता है कि इस दिन में वानर मुख होने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है.
- दूसरा मुख- गरुण स्वरूप
- पंचमुखी हनुमान के अवतार में दूसरा मुख गरुण का है, जिसमें इनका मुख पश्चिम दिशा की तरफ है. ऐसा माना जाता है कि इस दिशा में गरुण का मुख होने से जीवन में बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं.
- तीसरा मुख- वराह स्वरूप
- हनुमानजी के पंचमुखी अवतार में तीसरा मुख वराह का है और यह उत्तर की दिशा की ओर है. ऐसी मान्यता है कि इससे आयु और मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
- चौथा मुख- नृसिंह स्वरूप
- पंचमुखी हनुमान के स्वरूप में चौथा मुख नृसिंह का है, जो दक्षिण दिशा की तरप है. इस दिशा में नृसिंह का मुख होने पर मन से डर और तनाव से मुक्ति मिलती है.
- पांचवां मुख- अश्व स्वरूप
- पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप में पांचवां मुख घोड़े का है जिसका मुख अश्व आकाश की तरफ है. ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा करने से हर एक मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
स्वरूप की पूजा का महत्व
हनुमानजी की पूजा-आराधना करने से जीवन से नकारात्मक शक्तियां दूर होती और सकारात्मकता आती है. अगर आप हनुमान जी के पंचमुखी अवतार की पूजा करना चाहते हैं तो इनकी प्रतिमा या मूर्ति को दक्षिण या फिर दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना शुभ होता है. घर के मुख्यद्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाने से घर में बुरी और नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है. मंगलवार और शनिवार बजरंगबली की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, बूंदी, गुड-चने का भोग, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करने का विशेष महत्व है. इस दिन सुंदरकाण्ड या हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत फलदाई माना जाता है.