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Gen Z के लिए S## नहीं बड़ी बात! क्यों भारत में भी अब रिश्ते में हाथ पकड़ना हो गया है जरूरी?

आज की जेनरेशन Z के लिए प्यार की परिभाषा अब पहले जैसी नहीं रही है. जहां कभी शारीरिक नज़दीकियों को रिश्ते की गहराई का पैमाना माना जाता था, वहीं अब इस पीढ़ी हाथ थामना ज्यादा जरूरी हो गया है.

Gen Z के लिए S## नहीं बड़ी बात! क्यों भारत में भी अब रिश्ते में हाथ पकड़ना हो गया है जरूरी?
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 31 Oct 2025 5:31 PM IST

समय बदल रहा है और उसके साथ बदल रहा है प्यार को देखने का नजरिया भी. पहले जहां रिश्तों में शारीरिक नज़दीकी को प्यार की गहराई समझा जाता था, वहीं आज की जेनरेशन Z यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, रिश्ते में हाथ पकड़ने को सेक्स से ज्यादा जरूरी मानती है.

भारत में भी अब यह सोच तेजी से बदल रही है. नई पीढ़ी यह मानती है कि किसी रिश्ते में अब फिजिकल रिलेशन उतनी बड़ी बात नहीं रही, जितना हाथ पकड़ना है. यह सुनकर आपको अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे कई कारण है. चलिए जानते हैं आखिर प्यार की यह परिभाषा कैसे बदल रही है और क्यों?

पहले प्यार का पहला पड़ाव था हाथ पकड़ना

इंडिया टूडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पहले के दौर में खासकर मिलेनियल्स और उससे पहले की पीढ़ी के लिए हाथ पकड़ना एक बड़ा कदम माना जाता था. स्कूल या कॉलेज के दिनों में उंगलियों का हल्का सा छू जाना भी दिल की धड़कनें बढ़ा देता था. तब यह फर्स्ट बेस हुआ करता था और फिजिकल रिलेशन बनाना बहुत लंबा प्रोसेस था. लेकिन अब तस्वीर बिल्कुल उलट चुकी है.

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डेटिंग ऐप्स का दौर और बदलते रिश्तों का मिजाज

एक रेडिट यूजर ने लिखा, “मैंने अब तक जितने लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं, उतने लोगों का हाथ भी नहीं पकड़ा.” यह वाक्य आज की डेटिंग कल्चर को पूरी तरह बयान कर देता है, जहां सेक्स आसान हो गया है, पर इमोशन से जुड़ना मुश्किल. जयपुर की 22 साल की श्रेया भौमिक ने बताया कि ' हमारी पीढ़ी के लिए सेक्स बहुत आसान और उपलब्ध है. अब यह भावना से जुड़ी चीज नहीं रही. आज ‘वन नाइट स्टैंड’ या ‘नो क्वेश्चन’ डेट्स बड़े शहरों में आम बात है. लेकिन इस सहजता के पीछे एक बड़ी सच्चाई छिपी है. लोग अपने दिल के बजाय अपने शरीर को खोलना आसान समझते हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

रिलेशनशिप एक्सपर्ट का कहना है कि 'आज के यंगस्टर्स अपने इमोशन्स को ज्यादा संभालकर रखते हैं. ध्यान और इमोशन्स अब नई करेंसी बन गई हैं. किसी का हाथ पकड़ना, गहराई से सुनना या लगातार मौजूद रहना, इन सबका इमोशनल वजन सेक्स से कहीं ज्यादा है.

क्यों हाथ पकड़ना रखता है ज्यादा मायने?

किसी का हाथ थामना सिर्फ रोमांस नहीं, बल्कि भरोसे और अपनेपन का सिंबल है. यह बिना बोले कह देता है कि 'मैं तुम्हारे साथ हूं.' मुश्किल वक्त में किसी का हाथ थामना शब्दों से ज्यादा सुकून देता है. जब आप किसी के साथ सड़क पर हाथ पकड़कर चलते हैं, तो यह एक ‘स्टेटमेंट’ होता है कि 'ये मेरा इंसान है.' यही वजह है कि आज के समय में यह छोटा-सा जेस्चर एक बड़ा इमोशनल वैल्यू रखता है.

क्या कहता है साइंस?

साइकोलॉजी के अनुसार, जब हम किसी का हाथ पकड़ते हैं तो हमारे शरीर में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन निकलता है, जिसे लव हार्मोन कहा जाता है. यह हार्मोन हमें सुकून, भरोसा और अपनापन महसूस कराता है. वहीं फिजिकल रिलेशन अक्सर कुछ समय की एक्साइटमेंट तो देते हैं, लेकिन उनमें हमेशा इमोशनल कनेक्शन नहीं होता है.

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