WHO ने दी चेतावनी, 2030 तक 18 मिलियन महिलाएं होंगी इस बीमारी का शिकार, जानें इस साइलेंट महामारी के बारे में
एनीमिया कोई साधारण कमजोरी नहीं है, यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जो बच्चों की ग्रोथ, महिलाओं की फर्टिलिटी क्षमता, और पूरे जीवन की क्वालिटी पर असर डाल सकती है. इसे समय पर पहचानकर इलाज करना बेहद जरूरी है.

एनीमिया तब होता है, जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में हेल्दी रेड ब्लड सेल्स (RBCs) नहीं होती हैं, जिससे टिश्यू तक ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हो जाती है. इसका सबसे आम कारण आयरन की कमी है. इसके अलावा, यह बीमारी विटामिन B12 और फोलेट की कमी, गुर्दे की बीमारी, कैंसर, थैलेसीमिया, सिकल सेल रोग और बोन मैरो से जुड़ी समस्याओं के कारण होती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दक्षिण एशिया की लगभग आधी लड़कियां और महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं. UNICEF, WHO और SAARC ने हाल ही में चेतावनी दी है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो 2030 तक 18 मिलियन और महिलाएं एनीमिया की शिकार हो जाएंगी, जो पहले से मौजूद 2.59 करोड़ मामलों के साथ मिलकर इस संकट को और गंभीर बना देंगी.
क्यों होता है एनीमिया?
शरीर में न्यूट्रिशन की कमी जैसे आयरन, फोलेट और विटामिन B12 की कमी के कारण होता है. इसके अलावा, मलेरिया, हुकवर्म जैसी बीमारियां आयरन लेवल पर असर डालती है. पीरियड्स में ओवर फ्लो भी शरीर में आयरन की भारी कमी पैदा कर सकता है. वहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान बॉडी को ज्यादा आयरन चाहिए होता है, जिससे मां और शिशु दोनों पर असर पड़ता है.
बच्चों पर असर
WHO के अनुसार, एनीमिया ना सिर्फ महिलाओं को बल्कि उनके गर्भस्थ शिशुओं को भी प्रभावित करता है. दक्षिण एशिया में जन्म लेने वाले 40% बच्चे कम वजन के होते हैं और इसका एक बड़ा कारण मां में एनीमिया. कम ऑक्सीजन की सप्लाई के कारण बच्चों की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है, जिससे वे थकान, सीखने में कठिनाई और इंफेक्शन के प्रति ज़्यादा सेंसेटिव हो जाते हैं.
क्या हो सकते हैं लक्षण?
एनीमिया के सामान्य लक्षण में लगातार थकान और कमज़ोरी, पीलापन (त्वचा, नाखून, आंखों में), सांस फूलना या चक्कर आना और फोकस करने में परेशानी शामिल है. अगर आपको ये लक्षण दिखने लगे, तो इन्हें नजरअंदाज न करें.
क्या हो सकता है असर?
अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो एनीमिया व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। स्कूल में लड़कियाँ पिछड़ जाती हैं, कामकाजी महिलाएँ कार्यक्षमता खो बैठती हैं, और गर्भवती महिलाओं की जटिलताएँ बढ़ जाती हैं।
एनीमिया की बीमारी से कैसे बचें
- किसी भी बीमारी से बचने के लिए डाइट बेहद जरूरी होती है. शरीर में खून की कमी न हो. इसके लिए पत्तेदार हरी सब्ज़ियां, दालें, बीन्स, अंडे, मछली, फलियां, नट्स और आयरन फोर्टिफाइड अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें.
- सामुदायिक स्तर पर नियमित हीमोग्लोबिन जांच, प्रीनेटल केयर और हेल्थ कैंप ऑर्गेनाइज्ड करना चाहिए.
- आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां सप्लीमेंट के तौर पर खानी चाहिए. खासकर अडल्ट और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए यह जरूरी है.