अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा कहां खर्च कर रहे भारतीय कंज्यूमर? EMI चुकाने में जा रही आधी से ज्यादा सैलरी
रिसर्च में 30 लाख से ज़्यादा 'टेक-सेवी लोन देने वाले सर्विस ऐप' के बैंक स्टेटमेंट का एनालिसिस किया गया, जिन्होंने फिनटेक और एनबीएफसी के ज़रिए लोन लिया था. एनालिसिस में क्रेडिट कार्ड और नकद लेन-देन को शामिल नहीं किया गया है. ज़्यादातर कंज्यूमर (73 प्रतिशत) की मंथली इनकम 40,000 रुपये तक थी.

रोजमर्रा की जिंदगी में कमाने और खर्च करने में हमारा हिसाब कुछ अलग तरह का है. लेकिन अब एक नई रिसर्च में पाया गया है कि हम जरूरत की चीजों से ज्यादा कैसे गैर-जरुरी चीजों में पैसे खर्च कर देते है. इस रिसर्च में पाया गया है कि 22 प्रतिशत हर महीने 20,000 रुपये कमाने तक और 18 प्रतिशत उभरते प्रोफेशनल्स यानी 20,001 रुपये से 40,000 रुपये के बीच कमाने वालों ने 2023 में ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित खर्च किए.
एक नई रिसर्च में पाया गया है कि भारतीय कंज्यूमर 2023 में अपने एक्सपेंस का 29 प्रतिशत गैर-जरुरी चीजों के लिए बाटेंगे, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग का हिस्सा बाहर खाने और ऑर्डर करने की तुलना में थोड़ा अधिक होगा. कंस्यूमर स्पेंडिंग बेहेवियर पर बुधवार को जारी परफियोस और पीडब्ल्यूसी इंडिया द्वारा किए गए रिसर्च के अनुसार, गैर-जरुरी खर्च लोन ईएमआई पर मैन्डटॉरी एक्सपेंसेस (39 प्रतिशत) और उपयोगिताओं और किराने के सामान जैसी रोजमर्रा की जरूरत की चीजों पर जरूरतमंद के खर्चों से (32 प्रतिशत) से पीछे है.
गैर-जरुरी खर्च पर दबदबा
रिसर्च में 30 लाख से ज़्यादा 'टेक-सेवी लोन देने वाले सर्विस ऐप' के बैंक स्टेटमेंट का एनालिसिस किया गया, जिन्होंने फिनटेक और एनबीएफसी के ज़रिए लोन लिया था. एनालिसिस में क्रेडिट कार्ड और नकद लेन-देन को शामिल नहीं किया गया है. ज़्यादातर कंस्यूमर (73 प्रतिशत) की मंथली इनकम 40,000 रुपये तक थी. फ़ैशन और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित लाइफस्टाइल संबंधी खरीदारी ने गैर-जरुरी खर्च पर अपना दबदबा बनाए रखा, जिसकी औसत हिस्सेदारी 63 प्रतिशत थी. इसके बाद ऑनलाइन गेमिंग (13.7 प्रतिशत), बाहर खाना और घर पर ऑर्डर करना (13.1 प्रतिशत) और एंटरटेनमेंट (3.1 प्रतिशत) का स्थान रहा. वहीं लिकर और स्पिरिट (2.7 प्रतिशत) और ट्रैवलिंग (1.2 प्रतिशत) पर खर्चों का जिक्र कम था.
हर महीने ऑनलाइन गेमिंग पर होता है इतना खर्च
रिसर्च में पाया गया कि 22 प्रतिशत हर महीने 20,000 रुपये कमाने तक और 18 प्रतिशत उभरते प्रोफेशनल्स यानी 20,001 रुपये से 40,000 रुपये के बीच कमाने वालों ने 2023 में ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित खर्च किए. वहीं 1 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों के लिए, यह आंकड़ा 12 प्रतिशत कम था. इनमें दिल्ली-एनसी जैसे महानगरों सहित टियर-1 शहरों के लोग शामिल हैं. इनमें से, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बैंगलोर जैसे महानगरों सहित टियर-1 शहरों में रहने वाले लोगों ने ऑनलाइन गेमिंग पर हर महीने औसतन 5,081 रुपये खर्च किए है. आगरा, रांची और राजकोट जैसे टियर-2 शहरों में यह खर्च 6 प्रतिशत कम यानी 4,763 रुपये रहा.
ऑनलाइन गेमिंग की पैठ मज़बूत
परफियोस के सीईओ सब्यसाची गोस्वामी ने कहा, 'मेट्रो और टियर-1 शहरों में, हम आम तौर पर लोगों को एंटरटेनमेंट के लिए ऑनलाइन गेमिंग में बिजी देखते हैं. टियर-3, टियर-4 और टियर-5 शहरों में, लोगों के पास अपने घरों के बाहर फिजिकल गेम खेलने के लिए ज़्यादा समय हो सकता है. लेकिन मेट्रो क्षेत्रों में, ऑनलाइन गेमिंग की पैठ मज़बूत है, खासकर लो इनकम ग्रुप के बीच.'
अकेले रहने वाले होते गेमिंग की तरफ अट्रैक्ट
गोस्वामी ने कहा, 'इनमें से कई खर्च करने वाले, जो अक्सर अकेले होते हैं और अपनी पहली नौकरी में होते हैं, विज्ञापनों के संपर्क में आने, अकेले रहने के दौरान समय बिताने की ज़रूरत या अपने बिजी वर्क लाइफ के बीच आराम करने के तरीके के कारण गेमिंग की ओर अट्रैक्ट होते हैं. इसकी तुलना में, बाहर खाने और घर पर ऑर्डर करने पर गैर-जरुरी खर्च का हिस्सा थोड़ा कम है. ऐसे खर्च करने वालों में, बाहर खाने और घर पर ऑर्डर करने पर औसत मासिक खर्च, आय के स्तर के साथ बढ़ता गया, जो कि शुरुआती स्तर के आय वालों के लिए 492 रुपये से बढ़कर उच्च आय वालों के लिए 2,170 रुपये हो गया.
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सबसे ज्यादा बाहर के खाने में खर्च
मिनिस्ट्री ऑफ़ स्टेटिस्टिक्स और प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (एमओएसपीआई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिसर्च में कहा गया है कि मेट्रो शहरों में हाई क्लॉस के परिवारों ने 2022-23 में अपने मंथली फीडिंग बजट का लगभग 50 प्रतिशत पैकेज्ड सामान, बाहर खाने और फ़ूड डिलीवरी पर खर्च किया, जो एक दशक पहले 41.2 प्रतिशत था.