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दवाई नहीं, धीमा ज़हर! Steroid बन सकता है 20 की उम्र में हिप रिप्लेसमेंट का कारण, जानें कैसे

एक्सपर्ट ने बताया स्टेरॉयड खून के बहाव को रोकते हैं, जिससे हड्डियों को सही पोषण नहीं मिल पाता. खासकर कूल्हे की गोल हड्डी सबसे पहले इसकी चपेट में आती है. शुरुआत में हल्का दर्द, जकड़न और लंगड़ाकर चलना होता है, लेकिन अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो पूरा हिप खराब हो सकता है.

दवाई नहीं, धीमा ज़हर! Steroid बन सकता है 20 की उम्र में हिप रिप्लेसमेंट का कारण, जानें कैसे
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 13 May 2025 1:01 PM IST

दिल्ली में रविवार को हिप 360 कॉन्फ्रेंस हुआ, जहां डॉक्टरों ने एक बड़ी चिंता जताई. देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हड्डी के जानकारों ने बताया कि अब 20 से 30 साल की उम्र के लड़के-लड़कियां भी ऐसी हड्डी की बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं, जो पहले केवल बुज़ुर्गों में देखी जाती थीं.

इस चर्चा में जिस बीमारी का सबसे ज़्यादा ज़िक्र हुआ, उसका नाम है एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) डॉक्टर ने बताया कि उनके पास हर हफ्ते 2-3 नए मरीज़ आते हैं, जिनकी उम्र 30 साल से कम होती है. इनमें से कई सिर्फ 20 साल के होते हैं. जब जांच की जाती है, तो अक्सर AVN बीमारी का पता चलता है. इनमें से 70% से ज़्यादा मरीजों ने कभी न कभी स्टेरॉयड या ग़लत तरह के प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल किया होता है.

जल्दी बॉडी बनाने की चाह, सेहत पर भारी

आजकल के युवा जल्द से जल्द मज़बूत शरीर और बड़ी मसल्स के लिए जिम में ऐसे सप्लीमेंट्स खा रहे हैं, जो उनके शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कई बार ये प्रोटीन पाउडर और टैबलेट्स बिना किसी जांच या परमिशन के बेचे जाते हैं और इनमें ऐसे केमिकल होते हैं जो शरीर के अंदरूनी अंगों, खासकर हड्डियों पर बुरा असर डालते हैं.

कैसे असर डालता है स्टेरॉयड?

एक्सपर्ट ने बताया स्टेरॉयड खून के बहाव को रोकते हैं, जिससे हड्डियों को सही पोषण नहीं मिल पाता. खासकर कूल्हे की गोल हड्डी सबसे पहले इसकी चपेट में आती है. शुरुआत में हल्का दर्द, जकड़न और लंगड़ाकर चलना होता है, लेकिन अगर सही समय पर इलाज न मिले, तो पूरा हिप खराब हो सकता है.

करवाना पड़ सकता है हिप रिप्लेसमेंट

जब बीमारी बढ़ जाती है, तब मरीज को हिप की हड्डी बदलवानी पड़ती है, जिसे हिप रिप्लेसमेंट कहते हैं. पहले यह ऑपरेशन सिर्फ बुज़ुर्गों में होता था, लेकिन अब यह 20–25 साल के नौजवानों में भी आम होता जा रहा है.

गलत सप्लीमेंट्स का बाजार

महाराष्ट्र की ड्रग मॉनिटरिंग एजेंसी ने हाल ही में बाज़ार में बिक रहे प्रोटीन पाउडर और सप्लीमेंट्स की जांच शुरू की है. कई कंपनियों के प्रोडक्ट्स में अनऑथराइज्ड स्टेरॉयड पाए गए, जो बिना डॉक्टर की सलाह के जिम और इंटरनेट पर आसानी से मिल जाते हैं. भारत में इस तरह के खतरनाक सप्लीमेंट्स का बहुत बड़ा ग़ैर-कानूनी बाज़ार बन चुका है. युवा इनका सेवन करके बॉडी तो बना लेते हैं, लेकिन अनजाने में अपने शरीर को अंदर से खोखला कर रहे हैं.

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