हार्ट अटैक रोकना है? तो लिपिड प्रोफाइल नहीं, कराएं ये 5 एडवांस टेस्ट
पहले लोग सिर्फ तब अस्पताल जाते थे जब तकलीफ़ हो. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. अब लोग पहले से ही दिल की सेहत की जांच करवाने लगे हैं, ताकि कोई खतरा हो तो समय रहते पता चल जाए. जहां पहले सिर्फ कोलेस्ट्रॉल या लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराए जाते थे, अब लोग एडवांस हार्ट टेस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं
बीते कुछ महीनों में भारत ने ऐसी घटनाएं देखीं जो दिल दहला देने वाली थीं. 42 साल की एक्ट्रेस शेफाली जरीवाला, 40 साल के टीवी स्टार सिद्धार्थ शुक्ला और 46 साल के साउथ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार तीनों की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. लेकिन ये घटनाएं सिर्फ फिल्मी दुनिया तक सीमित नहीं रहीं.
51 साल के टेक्नोलॉजी कारोबारी संजय कपूर और 21 साल के बॉक्सर मोहित शर्मा की भी दिल से जुड़ी समस्याओं के कारण अचानक मौत हो गई. इन हादसों ने लोगों को झकझोर कर रख दिया और दिल की सेहत को लेकर जागरूकता तेजी से बढ़ने लगी. ब लोग सिर्फ लिपिड टेस्ट नहीं बल्कि एडवांस चेकअप की ओर बढ़ रहे हैं. चलिए जानते हैं कौन-से हैं ये टेस्ट.
जांचों की दुनिया में बड़ा बदलाव
पहले लोग सिर्फ तब अस्पताल जाते थे जब तकलीफ़ हो. लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. अब लोग पहले से ही दिल की सेहत की जांच करवाने लगे हैं, ताकि कोई खतरा हो तो समय रहते पता चल जाए. जहां पहले सिर्फ कोलेस्ट्रॉल या लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराए जाते थे, अब लोग एडवांस हार्ट टेस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं जैसे: कोरोनरी कैल्शियम स्कोरिंग, CT एंजियोग्राफी HS-CRP, एपोलिपोप्रोटीन B और लिपोप्रोटीन (a) जैसे टेस्ट.
क्या कहते हैं आकड़े
एजिलस डायग्नोस्टिक्स के मुताबिक, 2025 में हार्ट टेस्ट पैकेज की मांग में 19% की बढ़ोतरी हुई है. वहीं, सिर्फ लिपिड प्रोफाइल टेस्ट की मांग में 2% की गिरावट देखी गई है. 5C नेटवर्क के मुताबिक, 40 साल से कम उम्र के लोगों में कार्डिएक स्कैन की हिस्सेदारी 26% तक पहुंच गई है, जो 2023 में 18% थी. महिलाएं भी अब पीछे नहीं हैं. हृदय जांच में उनकी भागीदारी अब 37% तक पहुंच चुकी है.
यंगस्टर भी हो रहे अलर्ट
एक समय था जब दिल की बीमारियों को "बुजुर्गों की बीमारी" माना जाता था. लेकिन अब 20-30 साल की उम्र के युवा भी दिल की जांच करवाने लगे हैं. स्टार इमेजिंग के डॉ. समीर भाटी बताते हैं: 18–29 वर्ष के लोगों की जांच में हिस्सेदारी 5% से बढ़कर 10% हो गई है. 30–39 वर्ष के बीच यह 15% से बढ़कर 20% हो गई है. यानी अब दिल की सेहत का ख्याल सिर्फ बुज़ुर्गों की नहीं, हर उम्र के लोगों की ज़रूरत बन चुकी है.
शहर से गांव तक फैला खतरा
रेडक्लिफ लैब्स के अनुसार, दिल की बीमारियां सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं. टियर-1 शहरों में 51% लोग और टियर-2/3 क्षेत्रों में 48% लोग किसी न किसी हार्ट प्रॉब्लम से प्रभावित पाए गए. इससे पता चलता है कि दिल के खतरे गांव और कस्बों में भी उतने ही गंभीर हैं, जितने मेट्रो शहरों में.
जागरूकता और तकनीक का मेल
अब सिर्फ ECG और लिपिड प्रोफाइल से बात नहीं बनती है. लोग अब जानना चाहते हैं कि क्या आर्टरी में प्लाक जमा हो रहा है? कहीं हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान तो नहीं? कहीं कोई छिपा खतरा तो नहीं है? इसलिए हाई-सेंसिटिव मार्कर्स, CT स्कैन और AI बेस्ड इमेजिंग जैसे टूल्स की मांग बढ़ रही है.





