तनाव या डाइट नहीं, यह एक काम रोज़ करें और जीएं 100 साल से ज़्यादा, 101 साल के डॉक्टर का खुलासा
डॉ. शारफेनबर्ग ने अपने जीवन का एक बहुत ही भावुक पल शेयर किया था, जो उनके एक साथी के साथ बातचीत से जुड़ा था. वह साथी एक ग्राफिक डिजाइनर था और मोटापे से परेशान था. डॉ. शारफेनबर्ग ने कभी किसी की आलोचना नहीं की, बल्कि उन्होंने सच्चाई, समझदारी और उम्मीद के साथ बात की.

दुनिया में लंबा जीवन जीने के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि इसका राज़ साफ-सुथरा और पौष्टिक खाना है, तो कुछ लोग मानते हैं कि तनाव से दूर रहना ज़रूरी है. लेकिन जब कोई ऐसा व्यक्ति बोलता है जिसने 100 साल से भी ज़्यादा की उम्र जी है, तो उसकी बात को सभी गंभीरता से सुनते हैं.
ऐसे ही थे डॉ. जॉन शारफेनबर्ग, वे एक निवारक दवा विशेषज्ञ थे और उन्होंने सौ साल से ज़्यादा का जीवन बहुत ही सक्रिय और सफल तरीके से जिया। उनके अनुभव और सोच ने कई आम धारणाओं को बदल दिया। उन्होंने अपने अनुभव से बताया कि लंबी उम्र का रहस्य क्या है, और वो न किसी डाइट में था, न आराम में बल्कि हर दिन शरीर को चलाने में था, तो आइए जानते हैं डॉ. जॉन के कुछ मूल मन्त्र
रोज़ चलो, रोज़ जियो
डॉ. जॉन का मानना था कि एक्सरसाइज कोई ऑप्शन नहीं, बेहद जरुरी है. जो व्यक्ति मोटा है लेकिन रोज़ चल-फिर रहा है, वो उस दुबले व्यक्ति से ज्यादा जी सकता है जो निष्क्रिय है. यहां तक कि यदि कोई हाई ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल या स्मोकिंग जैसी आदतों से जूझ रहा है, फिर भी रोज़ एक्टिव रहने वाला व्यक्ति अधिक लंबी उम्र तक जी सकता है. उनका फोकस जिम या मशीनी फिटनेस पर नहीं था. बल्कि रोज़मर्रा की नार्मल एक्टिविटी पर था. चलना, सीढ़ियां चढ़ना, हल्का योग करना बस शरीर को हर दिन हिलाना.
मोटापा मौत का खतरा
डॉ. शारफेनबर्ग ने अपने जीवन का एक बहुत ही भावुक पल शेयर किया था, जो उनके एक साथी के साथ बातचीत से जुड़ा था. वह साथी एक ग्राफिक डिजाइनर था और मोटापे से परेशान था. डॉ. शारफेनबर्ग ने कभी किसी की आलोचना नहीं की, बल्कि उन्होंने सच्चाई, समझदारी और उम्मीद के साथ बात की. उन्होंने अपने उस साथी को बताया कि ज़्यादा वजन कई गंभीर बीमारियों और समय से पहले मौत का खतरा बढ़ा सकता है. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक बहुत ही मजबूत और हौसला बढ़ाने वाली बात कही, 'अगर कोई व्यक्ति मोटा है लेकिन रोज़ाना व्यायाम करता है, तो वह उस पतले इंसान से ज़्यादा जी सकता है जो बिल्कुल भी एक्टिव नहीं है.
बेहतरीन और उद्देश्यपूर्ण जीवन
वो सिर्फ़ एक डॉक्टर नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपनी बातों को खुद के जीवन में भी अपनाया. अपने आखिरी सालों में भी वे लगातार लोगों की मदद करते रहे, लेक्चर देते रहे और दूसरों को बदलाव के लिए इंस्पायर्ड करते रहे. उनकी खासियत सिर्फ ये नहीं थी कि उन्होंने लंबी उम्र पाई, बल्कि ये थी कि उन्होंने एक बेहतरीन और उद्देश्यपूर्ण जीवन जिया. उन्होंने हमेशा खुद को व्यस्त, उपयोगी और सक्रिय बनाए रखा. उनके जीवन की असली ताकत थी. हर दिन कुछ न कुछ करते रहना और एक मकसद के साथ जीना.
तनाव कम होता है
योग बुज़ुर्गों के लिए कई फायदेमंद साबित होता है। यह धीरे-धीरे उनकी ताकत, संतुलन, लचीलापन और चलने-फिरने की क्षमता को बेहतर बनाता है, जिससे गिरने का खतरा कम होता है और वे अपनी आज़ादी बनाए रख सकते हैं। कुछ आसान योग आसनों और कुर्सी योग की मदद से हर उम्र और फिटनेस स्तर के लोग इसे कर सकते हैं. ध्यान और गहरी सांसों पर ध्यान देने से तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है और मानसिक सेहत भी सुधरती है। ये सब मिलकर बुज़ुर्गों को एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में मदद करते हैं।