खूबसूरती की चाहत या मौत का सौदा? हाइट बढाने के लिए टांगें तुड़वा रहे लोग, जानें क्या है लेग लेंथनिंग सर्जरी?
लंबाई बढ़ाने की चाहत इंसान को कभी-कभी खतरनाक रास्तों पर भी ले जाती है. अब कुछ लोग सिर्फ कुछ इंच लंबा दिखने के लिए लेग लेंथनिंग सर्जरी का सहारा ले रहे हैं, जिसमें जानबूझकर पैरों की हड्डियों को तोड़ा जाता है. यह प्रक्रिया पहले केवल मेडिकल कारणों से होती थी, लेकिन अब कॉस्मेटिक ट्रेंड बन चुकी है.

इंसान हमेशा से लंबा दिखने की ख्वाहिश रखता आया है. कभी कद बढ़ाने के लिए योग और एक्सरसाइज का सहारा लिया गया, तो कभी बाज़ार में बिकने वाले सप्लीमेंट और चमत्कारी दवाओं का. लेकिन जब इन तरीकों से कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ा, तो एक नई और खतरनाक राह खुली- लेग लेंथनिंग सर्जरी.
यह वह प्रोसेस है जिसमें जानबूझकर पैरों की हड्डियों को तोड़कर खींचा जाता है, ताकि इंसान कुछ इंच लंबा हो सके. सुनने में जितना डरावना लगता है, हकीकत उससे कहीं अधिक दर्दनाक और जोखिम भरी है. चलिए जानते हैं इसकी कीमत क्या है और इससे होने वाले नुकसान.
लेग लेंथनिंग सर्जरी की कब और क्यों हुई शुरुआत?
असल में यह सर्जरी कोई फैशन का हिस्सा नहीं थी. इसका इजात उन मरीजों के लिए हुआ था जिनकी जन्मजात समस्या के कारण एक पैर छोटा रह जाता था या दुर्घटना के बाद हड्डियां असमान हो जाती थीं. मेडिकल लाइन ने इसे एक सॉल्यूशन के रूप में अपनाया था. लेकिन समय के साथ यह तकनीक कॉस्मेटिक सर्जरी की दुनिया में एंटर कर गई. अब लोग केवल अपनी लंबाई बढ़ाने के लिए भी इस खतरनाक ऑपरेशन को करवाने लगे हैं.
हड्डियों को तोड़ने का दर्दनाक प्रोसेस
इस सर्जरी का मेडिकल नाम ओस्टियोटॉमी है. इसमें डॉक्टर पैर की हड्डी को दो हिस्सों में काटते हैं. फिर या तो बाहर से पिन और तारों का ढांचा लगाया जाता है या अंदर स्क्रू और डिवाइस फिट किए जाते हैं. यह डिवाइस धीरे-धीरे हड्डी को अलग खींचता है, ताकि बीच की जगह नई हड्डी से भर सके. हर दिन मरीज या डॉक्टर को इस डिवाइस को थोड़ा-थोड़ा एडजस्ट करना पड़ता है. मरीज हफ्तों तक चल नहीं पाता और महीनों तक व्हीलचेयर पर रहना पड़ता है. दर्द इतना असहनीय होता है कि कई लोग बीच में ही हार मान लेते हैं. पूरी प्रक्रिया 6 से 9 महीने तक चल सकती है और इस दौरान इंसान का रोज़मर्रा का जिंदगी लगभग ठप हो जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने इस सर्जरी के बढ़ते चलन को लेकर गंभीर चेतावनी दी है. NHS के क्लिनिकल इम्प्रूवमेंट डायरेक्टर और ऑर्थोपेडिक सर्जन प्रो. टिम ब्रिग्स साफ कहते हैं, “यह कोई क्विक फिक्स नहीं है. यह बेहद जटिल और आक्रामक प्रक्रिया है, जो जीवनभर का दर्द, संक्रमण या अपंगता तक दे सकती है.” विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर हड्डियों को जल्दी खींचा गया तो वे आपस में जुड़ ही नहीं पातीं. कभी हड्डी इतनी कमजोर हो जाती है कि शरीर का भार नहीं उठा पाती. कभी नर्व डैमेज, कभी फ्रैक्चर और कभी दोनों पैरों की लंबाई असमान हो जाना – ऐसे कई खतरे सामने आते हैं.
कितना है इलाज का खर्चा?
एक समय था जब यह सर्जरी केवल उन लोगों पर होती थी जिन्हें इसकी सख्त ज़रूरत थी. लेकिन अब यह ‘कॉस्मेटिक’ ट्रेंड बन चुकी है. फिल्मों, मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर सफलता की कहानियां पढ़कर कई यंगस्टर अट्रैक्ट हो रहे हैं. हाल ही में हॉलीवुड फिल्म Materialists ने भी इस विषय को छुआ, जिसके बाद पश्चिमी देशों में इसकी डिमांड और बढ़ी है. हालांकि चीन ने 2006 में इस प्रैक्टिस को पूरी तरह बैन कर दिया था. मगर तुर्की जैसे देशों में यह अभी भी धड़ल्ले से की जा रही है. वहां इसका खर्च लगभग 24 लाख रुपये आता है, जबकि ब्रिटेन में यही प्रक्रिया 50 लाख रुपये से अधिक की है.
कीमत से बड़ा है जोखिम
लोगों को लगता है कि पैसे खर्च कर कुछ इंच लंबाई खरीद सकते हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यह सिर्फ आर्थिक बोझ नहीं, बल्कि जिंदगी से खेलने जैसा है. महीनों तक काम करने की क्षमता खत्म हो जाती है. कई बार स्थायी चोट या विकलांगता झेलनी पड़ती है. फिर सवाल उठता है कि क्या सिर्फ लंबा दिखने के लिए इंसान को अपनी सेहत, करियर और जीवन को दांव पर लगा देना चाहिए?