अब ये क्या बवाल है? खुद सुंदर होकर ये महिला करती है बदसूरत मर्दों को डेट, Gen Z का Shrekking डेटिंग ट्रेंड
सभी चाहते हैं कि उनका पार्टनर देखने में सुंदर हो, लेकिन अब उल्टी गंगा बह रही है. कहते हैं प्यार अंधा होता है और अब यकीनन हो गया है, Gen Z में. दरअसल एक नया डेटिंग टर्म आया है, जिसे Shrekking कहा जाता है, जिसमें लोग कम अट्रैक्टिव शख्स को डेट करते हैं.

डेटिंग की दुनिया में हर रोज़ नए-नए ट्रेंड्स आते हैं. कभी घोस्टिंग, सिचुएशनशिप और ब्रेडक्रंबिंग. अब एक नया डेटिंग टर्म आया है, जिसे Shrekking कहा जाता है. पहले के ज़माने में लोग डेटिंग के लिए परफेक्ट मैच ढूंढते थे, लेकिन Gen Z कहना है कि भाई, सिमिट्री फोटोशॉप में अच्छी लगती है, रिश्तों में नहीं और इसी सोच से निकला है नया डेटिंग ट्रेंड Shrekking. नाम से ही समझ जाइए, इसमें प्रिंस चार्मिंग नहीं, बल्कि श्रेक जैसे दिखने वाले पार्टनर्स की डिमांड है.
आमतौर पर लोग अट्रैक्टिव पार्टनर को चुनते हैं, लेकिन अमेरिका की मॉडल लाना मैडिसन का स्वाद बिल्कुल उल्टा है. वह अपनी खूबसूरती पर 1.19 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुकी हैं, लेकिन जानबूझकर ऐसे पुरुषों को डेट करती हैं जिन्हें समाज ‘कम अट्रैक्टिव’ या ‘अग्ली’ कहते हैं. चलिए जानते हैं क्या Shrekking डेटिंग सही है? या इसके कोई नुकसान हैं.
क्या है Shrekking डेटिंग?
‘Shrekking’ का मतलब है कि कोई इंसान जानबूझकर अपने से कम अट्रैक्टिव पार्टनर चुनता है, ताकि खुद को ज्यादा सुंदर और कॉन्फिडेंट महसूस कर सके. कई लोग इसे इस वजह से भी अपनाते हैं क्योंकि कम अच्छे दिखने वाले शख्स से धोखा मिलने के चांसेज कम हैं. हालांकि, इसकी कोई गारंटी नहीं है. धोखा कोई भी शख्स दे सकता है. चाहे वह सुंदर हो या नहीं. धोखा देना फितरत की बात होती है न की सुंदरता की.
क्यों यह ट्रेंड परेशान करने वाला है?
अगर कोई सिर्फ इसलिए रिलेशन में है क्योंकि दूसरा कम सुंदर है, तो वहां असली प्यार या रिस्पेक्ट की जगह नहीं होती. दरअसल वफादारी, भरोसा और इमोशनल कनेक्शन ही किसी रिश्ते की असली नींव होते हैं, न कि चेहरे की खूबसूरती. इसलिए यह ट्रेंड परेशान करने वाला है.
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Shrekking से कैसे बचें?
सुपरफिशियल फैक्टर्स जैसे लुक्स अट्रैक्शन में रोल प्ले करते हैं और इसमें कोई गलत नहीं है. लेकिन असली कनेक्शन इन सतही चीज़ों से बहुत गहरा होता है. जो लोग असली रिलेशनशिप बना पाते हैं, वे कभी भी “लीग्स” और “डेसिरबिलिटी स्केल” की गिनती में नहीं फंसते हैं.