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अकेलेपन का खतरा या स्पेशल ट्रीटमेंट, जानें क्या होता है Only Child Syndrome?

ओनली चाइल्ड सिंड्रोम उन बच्चों से जुड़ा है, जिनके भाई-बहन नहीं होते हैं. इसके अपने नुकसान और फायदे हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इसके चलते बच्चे को स्पेशल ट्रीटमेंट मिलता है. वहीं, दूसरी ओर, इकलौता बच्चा होने के चलते वह अकेलेपन का शिकार हो सकता है.

अकेलेपन का खतरा या स्पेशल ट्रीटमेंट, जानें क्या होता है Only Child Syndrome?
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( Image Source:  Freepik )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 27 March 2025 12:05 PM IST

वन चाइल्ड सिंड्रोम एक ऐसा शब्द है, जिसका इस्तेमाल पर्सनैलिटी ट्रेट्स और बिहेवियर के एक सेट को बताने के लिए किया जाता है, जो अक्सर उन बच्चों से जुड़े होते हैं, जो भाई-बहनों के बिना बड़े होते हैं. ऐसा मानना है कि इकलौते बच्चे यूनीक कैरेक्टरिस्टिक डेवलप करते हैं, क्योंकि उन पर पेरेंट्स का सारा ध्यान होता है. इकलौते बच्चे सेल्फ सेंटर्ड होते हैं, क्योंकि वे अपनी ज़रूरतों और इच्छाओं पर ज़्यादा फोकस कर सकते हैं. वहीं, पेरेंट्स की ज्यादा उम्मीदों के चलते वह परफेक्ट और अचिवमेंट-ओरिएंटेड बन जाते हैं.

हालांकि, इसका नुकसान यह भी है कि सिंगल चाइल्ड को घर में कुछ भी शेयर नहीं करना पड़ता है. ऐसे में सोशल सेटिंग में जब बात शेयरिंग की आती है, तो उन्हें परेशानी हो सकती है. हालांकि, वे अपनी उम्र के हिसाब से ही मैच्योर होते हैं, क्योंकि वह अक्सर अडल्ट के साथ बात करते हैं. साथ ही, एडवांस कम्यूनिकेशन स्किल्स भी अपनाते हैं.

सिंगल चाइल्ड होने के फायदे

इकलौते बच्चे होने के कई फायदे हैं. इनमें सबसे पहला पेरेंट्स के साथ मजबूत रिश्ता है, क्योंकि उन्हें पूरा ध्यान मिलता है. इसके अलावा, उन्हें ज्यादा गाइडेंस, एडवाइस और इमोशनल सिक्योरिटी मिलती है, जो उनकी डेवलपेमेंट को पॉजिटिव तरीके से अफेक्ट कर सकता है. साथ ही, बच्चे अपने करियर में कुछ भी कर सकते हैं, क्योंकि पेरेंट्स के पास दूसरे बच्चे की पढ़ाई पर खर्च करने की टेंशन नहीं होती है.

स्टडीज में पाया गया है कि भाई-बहनों के बिना बड़े होने से उन्हें खुद को एंटरटेन करने, परेशानी को सॉल्व करने और कड़े फैसले लेने की हिम्मत आ जाती है. इससे वह आत्म निर्भर होते हैं, जिसके चलते वह अपने जिंदगी में आने वाली चुनौतियों से आसानी से निपट सकते हैं.

अकेलेपन का डर

इकलौती संतान होने का एक बड़ा नुकसान अकेलेपन और आइसोलेशन की फीलिंग है. खासतौर पर बचपन में बच्चों को सबसे ज्यादा अकेलापन महसूस हो सकता है, क्योंकि इस दौरान उनके पास खेलने के लिए घर में कोई नहीं होता है. इतना ही नहीं, अगर पेरेंट्स न हो, तो वह अपने एक्सीपीरियंस किसे शेयर करेगा. इसके कारण अक्सर नए लोगों से दोस्ती करने में परेशानी आती है. साथ ही, ग्रुप में भी अकेलेपन की भावना आ सकती है.

सोशलाइजेशन में परेशानी

सोशलाइजेशन एक बड़ी समस्या हो सकती है. भाई-बहनों के बिना बड़े होने का मतलब है कि कैजुअल बातें, बहस और समझौते करने से स्किल्स डेवलप न होना. इसका नतीजा यह होता है कि बाद में बच्चे को दोस्त बनाने औक टीम में काम करने में परेशानी आ सकती है.



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