क्यों मनाया जाता है Women's Day, आखिर किस अधिकार के लिए पहली बार महिलाओं ने उठाई थी अपनी आवाज?
लड़कियों को किसी भी क्षेत्र में अवसर और सम्मान मिले, तो वे किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं. वे न केवल अपनी दुनिया बदल सकती हैं, बल्कि पूरी दुनिया में बदलाव ला सकती हैं. यह जरूरी है कि हम लड़कियों को उनकी पूरी क्षमता को पहचानने और उसे साकार करने का अवसर दें, क्योंकि लड़कियां सच में किसी से कम नहीं हैं.

एक जमाना था, जब महिलाओं को चार दीवारों के अंदर रखा जाता था. माना जाता था कि महिलाएं बेहद कमजोर हैं, लेकिन कल्पना चावला से लेकर मलाला यूसुफजई ने यह बता दिया कि वह चाहें, तो कुछ भी कर सकती हैं. आज महिलाएं पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. जगह कोई भी हो, अब लड़कियां नए मुकाम हासिल कर रही हैं.
महिलाओं ने साबित कर दिखाया है कि वह हर काम कर सकती हैं. बशर्ते उन्हें समान मौके मिलें. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हर साल मार्च के महीने में इंटरनेशनल वुमन्स डे मनाया जाता है. चलिए जानते हैं इस साल की थीम और क्यों मनाया जाता है यह दिन?
कब हुई थी वुमन्स डे की शुरुआत
वुमन्स डे (महिला दिवस) की शुरुआत 1900 के दशक की शुरुआत में हुई थी. यह महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष का हिस्सा था. इसकी शुरुआत विशेष रूप से 1908 में न्यूयॉर्क सिटी में हुई, जब महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करना शुरू किया. यह आंदोलन धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया.
वुमन्स डे थीम
इस साल वुमन्स डे की थीम सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार, समानता और सशक्तिकरण है. यानी सभी महिलाओं को समान अधिकार, शक्ति और अवसर मिले. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस अप्रोच का सेंटर अगली पीढ़ी - युवाओं, खासतौर से यंग और अडल्ट लड़कियों को परमानेंट बदलाव के लिए कैटालिस्ट के तौर पर सशक्त बनाना है.
पहला बार कब मनाया गया था
1911 में पहली बार इंटरनेशनल वुमन्स डे मनाया गया था. इस दिन लाखों महिलाओं ने सड़कों पर मार्च किया और अपने अधिकारों की मांग की. इस दिन का उद्देश्य था महिलाओं को समानता, कामकाजी परिस्थितियों में सुधार और मतदान का अधिकार दिलवाना. यह दिन महिलाओं के संघर्ष और उनके अधिकारों के लिए एक वैश्विक मंच बन गया.
कब मिली मान्यता
1975 में संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक रूप से मान्यता दी और इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में घोषित किया. तब से यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाता है. यह हर साल बढ़ते हुए महिलाओं के अधिकारों, समानता, और सशक्तिकरण के लिए एक आंदोलन बन चुका है.