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क्या आपके ब्रेड पकौड़े में पनीर असली है? वायरल क्वालिटी चेक वीडियो से लगाएं पता

कंटेंट क्रिएटर निखिल सैनी के इंस्टाग्राम वीडियो ‘ब्रेड पकौड़ा क्वालिटी चेक’ को 20 मिलियन से ज्यादा बार देखा गया है, जिसने लोगों में उत्सुकता पैदा कर दी है. निखिल ने आयोडीन टेस्ट से असली और नकली पनीर में पहचान करने का तरीका बताया है.

क्या आपके ब्रेड पकौड़े में पनीर असली है? वायरल क्वालिटी चेक वीडियो से लगाएं पता
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 16 Feb 2025 5:05 PM IST

क्या आपको ब्रेड पकौड़ा पसंद है? इसके टेस्ट को बढ़ाने के लिए पकौड़े में पनीर डाला जाता है. हाल ही में निखिल सैनी नाम के इंस्टाग्राम यूजर ने 25 रुपये में खरीदे गए ब्रेड पकौड़े में भरे पनीर की क्वालिटी चेक की. इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को 20 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं. उन्होंने आयोडीन टिंचर टेस्ट के जरिए नकली और असली पनीर की पहचान की.

निखिल ने सबसे पहले ब्रेड पकौड़े से पनीर निकालकर इसे धोया. इसके बाद पनीर में आयोडीन की कुछ बूंदें डाली और फिर पनीर पर काले धब्बे दिखने लगते हैं. इसके वह खुद के खरीदे हुए असली पनीर पर आयोडीन टेस्ट किया. जहां पनीर का रंग बिल्कुल भी नहीं बदला.

आयोडीन टेस्ट को समझें

आयोडीन टिंचर टेस्ट खाने में स्टार्च की मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया जाता है. जब आयोडीन स्टार्च के कॉन्टैक्ट में आता है, तो यह गहरे नीले या काले रंग का हो जाता है. हालांकि, शुद्ध पनीर दूध के प्रोटीन से बनता है और इसमें स्टार्च नहीं होता है. इसलिए आयोडीन टेस्ट के नतीजन रंग में बदलाव सिंथेटिक या मिलावटी पनीर का हिंट हो सकता है.

क्या टेस्ट पर भरोसा कर सकते हैं?

इसके जरिए यह 100 प्रतिशत बताया नहीं जा सकता है कि पनीर नकली है या नहीं. कुछ कमर्शियल पनीर मेकर कंपनी टेक्सचर को बेहतर बनाने और वजन बढ़ाने के लिए स्टार्च मिला सकते हैं. इसके अलावा, अगर वेंडर तलने से पहले पनीर को बैटर में लपेटता है, तो बाहरी परत से बचा हुआ स्टार्च टेस्ट के रिजल्ट को अफेक्ट कर सकता है. इसलिए डार्क कलर के रिएक्शन का मतलब यह नहीं है कि पनीर पूरी तरह से आर्टिफिशियल है.

कंज्यूमर अवेयरनेस और फूड सेफ्टी

खाने की चीजों में मिलावट कई मायनों में बहुत आम होने के साथ-साथ हानिकारक है, क्योंकि इससे कैंसर, एलर्जी और हमारे हेल्दी गट माइक्रोबायोटा को नुकसान हो सकता है. स्ट्रीट फूड के शौकीनों को फूड क्वालिटी के बारे में सतर्क रहना चाहिए, लेकिन एक ही टेस्ट के बजाय कई वेरिफिकेशन मेथड पर भरोसा करना जरूरी है.

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