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साग और रोटी, रोजाना 4 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी, Fauja Singh की ये 5 आदतें जिससे रह सकते हैं फिट

फौजा सिंह उन लोगों के लिए एक मिसाल है, जो कहते हैं कि हर काम के लिए एक उम्र होती है. 80 की उम्र के बाद खुद को फिट कर मैराथन में भाग लिया. इसका कारण सिर्फ उनकी आदतें थी, जिससे वह यह सब कुछ हासिल कर पाए.

साग और रोटी, रोजाना 4 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी, Fauja Singh की ये 5 आदतें जिससे रह सकते हैं फिट
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हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 17 July 2025 12:21 PM IST

जब दुनिया 89 की उम्र में रिटायरमेंट की बातें करती है, तब एक पंजाबी बुज़ुर्ग ने नए सिरे से दौड़ना शुरू किया. यह कहानी है फौजा सिंह की. एक ऐसे शख्स की जिन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है. फौजा सिंह का किसी मिसाल से कम नहीं था. 114 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा.

लेकिन 89 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग आराम करते हैं, उन्होंने जॉगिंग शुरू की. यह जॉगिंग धीरे-धीरे एक जुनून में बदल गई. उन्होंने अगले दस सालों तक दुनियाभर की मैराथनों में भाग लिया. यहां तक कि जब वे 100 साल के हो चुके थे, तब भी उनका हौसला कायम रहा. इसका कारण उनकी पांच आदते थीं.

4 घंटे की फिज़िकल एक्टिविटी

उनके डेली रूटीन में एक्सरसाइज सबसे जरूरी हिस्सा थी. फौजा सिंह हर दिन सुबह जल्दी उठते, और चार घंटे से भी ज्यादा समय पैदल चलने, जॉगिंग और दौड़ने में बिताते थे. उन्होंने बताया था कि 'पहले मैं ज्यादा दौड़ता था. फिर जॉगिंग करने लगा और अब थोड़ा चलता हूं, लेकिन रुका नहीं हूं.'

वेजिटेरियन फूड

फौजा सिंह की फिटनेस का सीक्रेट वेजिटेरियन फूड है. वह अपनी डाइट में चपाती, दाल, हरी सब्ज़ियां, साग, दही और दूध खाते थे. इसके अलावा, वह तला-भुना खाना, मिठाइयां, चावल और भारी खाने से हमेशा दूर रहते थे. उनका मानना था कि 'हम जीने के लिए खाते हैं, खाने के लिए नहीं. मैं जो खाता हूं, वह खेतों में उगाया जाता है. '

कभी नहीं छुए सिगरेट और शराब

फौजा सिंह की लंबी उम्र का एक और बड़ा राज नो अल्कोहल और सिगरेट था. उन्होंने कभी सिगरेट या शराब को हाथ तक नहीं लगाया. उनका मानना था कि नशा शरीर को भीतर से खोखला करता है.

मन की ताकत

जहां शरीर को हेल्दी रखने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है, वहीं मन को शांत रखने के लिए पॉजिटिव सोच भी उतनी ही अहम है. फौजा सिंह अक्सर अपने दिन की शुरुआत रब (ईश्वर) का नाम लेकर करते थे और जल्दी सो जाते थे ताकि दिमाग में कोई नकारात्मकता न आए. वे कहते थे कि 'अगर आप खुश रहना सीख जाएं, तो उम्र कभी भी रुकावट नहीं बनती है.'

डिसिप्लिन है जरूरी

फौजा सिंह यह सब कुछ सिर्फ इसलिए कर पाए, क्योंकि उन्होंने डिसिप्लिन मेंटेन किया. फौजा सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि कड़ी मेहनत, हेल्दी लाइफस्टाइल और पॉजिटिव सोच से हम कुछ भी हासिल कर सकते हैं, चाहे हमारी उम्र कुछ भी हो.

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