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ज्यादा स्क्रीन टाइम से बढ़ रही इनफर्टिलिटी की समस्या, जानें कैसे यह आदत डाल रही आपके सेक्सुअल डिजायर पर असर

आज की डिजिटल दुनिया में स्क्रीन हमारी डेली लाइफ का जरूरी हिस्सा बन चुकी है, लेकिन इस आदत से इफर्टिलिटी और सेक्सुअल डिजायर पर असर पड़ रहा है. देर रात तक मोबाइल स्क्रॉल करना, लगातार लैपटॉप पर काम करते रहना और हर पल नोटिफिकेशन में उलझे रहना हमारे शरीर की नैचुरल लय को बिगाड़ देता है.

ज्यादा स्क्रीन टाइम से बढ़ रही इनफर्टिलिटी की समस्या, जानें कैसे यह आदत डाल रही आपके सेक्सुअल डिजायर पर असर
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( Image Source:  AI SORA )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 17 Nov 2025 12:52 PM IST

आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जहां मोबाइल हमारी लाइफ का हिस्सा बन चुकी है. सुबह की शुरुआत नोटिफिकेशन से होती है और रात का स्क्रॉलिंग पर जाकर खत्म होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह छोटी-सी स्क्रीन हमारे रिश्तों, नींद, हॉर्मोन्स और यहां तक कि इनफर्टिलिटी और सेक्सुअल डिजायर पर चुपचाप असर डाल रही है?

डॉक्टरों का कहना है कि डिजिटल लाइफस्टाइल हमारी सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को उस तरीके से बदल रही है, जिसके साइन हमें बहुत देर से समझ आते हैं. चलिए जानते हैं कैसे इस आदत से पड़ रहा हमारी सेक्सुअल लाइफ पर असर.

कैसे स्क्रीन टाइम से पड़ रहा सेक्सुअल डिजायर पर असर?

कई यंग कपल्स आज यह महसूस कर रहे हैं कि थकान ने इंटिमेसी की जगह ले ली है. ऑफिस मीटिंग्स, देर रात काम और लगातार मोबाइल पर एक्टिव रहना शरीर को आराम नहीं लेने देता. नतीजा यह कि दिमाग ज्यादा चलता है और शरीर थका हुआ. रात में ज्यादा स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन कम हो जाता है. यही वह हार्मोन है जो हमें नींद और रिलैक्सेशन का साइन देता है. जब यह गड़बड़ा जाता है, तो सोने की लय टूट जाती है और साथ ही सेक्सुअल डिजायर भी प्रभावित होती है.

बढ़ रहा डिजिटल इंटिमेसी गैप

स्क्रीन के कारण बढ़ रही डिजिटल इंटिमेसी गैप भी एक नई समस्या है. कपल्स एक-दूसरे के पास होते हुए भी घंटों अलग-अलग फोन में खोए रहते हैं. सवाल यह है कि जो समय रिश्तों को मजबूत करने में लगना चाहिए, वह हम स्क्रीन को क्यों दे रहे हैं?

स्ट्रेस से भी पड़ता सेक्सुअल हेल्थ पर असर

लगातार तनाव शरीर को सर्वाइवल मोड में डाल देता है. ऐसे में कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन बढ़ जाते हैं. ये वही हार्मोन हैं जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन्स जैसे टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को प्रभावित करते हैं. डॉक्टरों के अनुसार बढ़ते स्ट्रेस का संबंध इन समस्याओं से है:

  • लिबिडो में कमी
  • इर्रेगुलर ओव्यूलेशन
  • स्पर्म क्वालिटी में गिरावट
  • इरेक्टाइल समस्याएं
  • सूजन बढ़ना
  • नींद का टूटना

अक्सर लोग इन साइन्स को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि स्ट्रेस दिखाई नहीं देता. लेकिन क्या हम अपने शरीर के भेजे इन छोटे-छोटे संकेतों को सुन रहे हैं?

इस समस्या से कैसे निपटे?

एक्सपर्ट का कहना है कि छोटी और नियमित आदतें बड़ा फर्क ला सकती हैं.

  • रात में सोने से 1-2 घंटे पहले फोन दूर रखें.
  • कमरे से गैजेट्स बाहर रखें और सनसेट के बाद ब्लू लाइट फिल्टर्स का इस्तेमाल करें.
  • रोज कम से कम 30 मिनट शरीर को एक्टिव रखें.
  • 7-8 घंटे की नींद को दवा की तरह महत्व दें.
  • हर दिन थोड़ी देर साथी के साथ बिना फोन के बिताएं.
  • रिप्रोडक्टिव हेल्थ की नियमित जांच करवाएं.

आखिर में यही सवाल कि क्या हमारी सेहत सच में उतनी ही जरूरी है, जितना समय हम स्क्रीन को देते हैं? क्योंकि सच तो यह है कि हमारी लाइफ, हमारा शरीर और हमारे रिश्ते किसी भी मोबाइल स्क्रीन से कहीं ज्यादा कीमती हैं.

हेल्‍थ
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