Year Ender 2025: चांदी की चमक में खोया सोना, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी जमीन पर चमकी भारतीय फौज, पड़ोसी निकला ‘विश्वासघाती’...
साल 2025 भारत और दुनिया के लिए निर्णायक रहा. Narendra Modi की आक्रामक विदेश नीति, Operation Sindoor में पाकिस्तान की हार, Vladimir Putin की भारत यात्रा और Donald Trump की रणनीतियों ने वैश्विक संतुलन बदला. वहीं Bangladesh में राजनीतिक अस्थिरता, अल्पसंख्यकों पर हमले और भारत-बांग्लादेश रिश्तों में आई तल्खी 2026 के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर रही है.
साल 2025 दुनिया को अनगिनत खट्टे-मीठे अनुभव देकर काल-गति से निरंतर अपनी यात्रा की ओर अग्रसर है. ऐसे गुजरते साल 2025 ने दुनिया के साथ-साथ भारत को क्या कुछ दिया. भारत ने इस गुजरते साल में कुछ खोया-पाया. “Year Ender” की इस कड़ी में स्टेट मिरर हिंदी आज इन्हीं तमाम खबरों से भरे पड़े रहे साल यादों को समेटने की कोशिश कर रहा है. फिर चाहे मुद्दा अंतरराष्ट्रीय संबंधों, विदेश नीति-कूटनीति सामरिक संबंधों का हो, या फिर अर्थ-जगत का.
सबसे पहले बात करते हैं भारत की विदेश नीति का. साल 2025 में भारत ने इस नजर से अगर कुछ खोया तो पाया भी बहुत कुछ. मसलन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल कई उन देशों की यात्रा करके ने केवल भारत में अपने विरोधी दलों को चौंका दिया अपितु विश्व को भी हैरत में डाल दिया, उन देशों की यात्रा करके जहां अब से पहले यानी पूर्व में कभी कोई प्रधानमंत्री (भारत का) गया ही नहीं था. मतलब, मोदी ने साबित कर दिया कि वे सिर्फ बड़े और धनाढ्य विकसित या विकासशील देशों के साथ ही नहीं है. भारत हमेश जरूरतमंद और कमजोर या छोटे देशों के साथ भी संबंध प्रगाढ़ करने की नीति को महत्व देता है.
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पुतिन की भारत यात्रा से ट्रंप पस्त
विदेश और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के परिप्रेक्ष्य में अगर देखें तो जहां मोदी ने तमाम देशों की यात्राएं की. वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने अमेरिका सहित दुनिया के उन देशों को चौंका दिया, जिनकी नजरों में भारत की उन्नति और उपलब्धियां हमेशा करकती रहती हैं. पुतिन की भारत यात्रा का सबसे ज्यादा चौंकाने वाला या कहिए विपरीत असर पड़ा मक्कार मतलबपरस्त अमेरिका और उसके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर. पुतिन की भारत यात्रा ने जहां पाकिस्तान को पस्त किया वहीं, उनकी इस यात्रा से चिंतित चीन लाख चाहकर भी कुछ कह तो नहीं सका. मगर मन मसोस कर जरूर रह गया.
पाकिस्तान को औकात बता दी
पाकिस्तान सोच रहा था कि पहलगाम आतंकवादी हमला करके वह भारत को अपनी और अपने आतकंवादियों की ताकत का लोहा मनवा देगा. पहलगाम आतंकवादी हमले का षडयंत्र रचने के वक्त पाकिस्तान ने कल्पना भी नहीं की होगी कि, उसका जवाब भारतीय फौजें और मोदी हुकूमत “ऑपरेशन-सिंदूर” जैसा आसमानी कोहराम पाकिस्तान के ऊपर से बरपा कर, पाकिस्तान के बेसुध कर डालेंगे. ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की जिस तरह से भारतीय फौजों ने खुले दिल और मन से दुर्गति की, उसे देखकर पाकिस्तान के संग दुनिया कांप गई.
मक्कार देशों ने आपदा में अवसर तलाशा
हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय फौजों के हाथों बुरी तरह से पिटे पाकिस्तान ने मार खाने के बाद भी उस आपदा को अवसर में बदलने की कोशिश की. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय फौजों के हाथों हलकान हुआ पड़ा पाकिस्तान तुरंत जान बचाने के लिए अमेरिका भागकर पहुंचा और ट्रंप से अरबों डॉलर की मदद “भीख” में मांग लाया. उधर घाघ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी पाकिस्तान को मुसीबत में फंसा देखकर बहती गंगा में हाथ धो लिए. अमेरिका ने जैसे ही पाकिस्तान को भीख में आर्थिक मदद दी वैसे ही उसने पाकिस्तान से घिनौनी डील कर ली कि, ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय फौज के हाथों मार खा रहे पाकिस्तान को अमेरिका बचा तो लेगा, मगर पाकिस्तान इसके बदले डोनाल्ड ट्रंप को शांति के लिए “नोबेल पुरस्कार” दिलवाने को दुनिया में चिल्ल-पों मचाएगा.
हुआ भी वैसा ही जैसा अमेरिका ने डरपोक पाकिस्तान से चाहा था. जैसे ही ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान की जान बची और अमेरिका से भीख में पाकिस्तान को आर्थिक मदद नसीब हुई. पाकिस्तान रोने लगा कि साल 2025 का शांति नोबल पुरस्कार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दे. हालांकि, नोबेल पुरस्कार पाने और दिलवाने का सपना अमेरिका और पाकिस्तान दोनो का औंधे मुंह गिर पड़ा.
भारत बांग्लादेश के संबंधों में तल्खी
भारतीय फौजों द्वारा लॉन्च “ऑपरेशन सिंदूर” से जैसे तैसे मक्कार पाकिस्तान की जान बची. तो वह भारत के पड़ोसी दोस्त देश बांग्लादेश की ओर लुढ़कने लगा. इसी बीच बांग्लादेश में राजनीतिक-सामाजिक अस्थिरता पैदा हो गई. वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपनी जान बचाने के लिए भारत में राजनीतिक-शरण लेनी पड़ी. वे आज भी भारत में ही निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही हैं. साल 2025 में ही भारत में रह रही शेख हसीना को उनके अपने देश में (बांग्लादेश) फांसी की सजा मुकर्रर कर डाला जाना भी, बड़ी और एतिहासिक घटनाओं में शुमार है.
बांग्लादेश में हालात इस कदर बेकाबू हुए कि वहां मंदिरों पर हमले और अल्पसंख्यक हिंदुओं का कत्ल-ए-आम शुरु हो गया. जोकि साल 2025 के जाते-जाते भी जारी है. साल 2026 में बांग्लादेश में संसद के चुनाव प्रस्तावित हैं. चुनाव में बांग्लादेश का भविष्य तय हो पाता उससे पहले ही दिसंबर के अंत में वहां की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की लंबी बीमारी से मौत हो गई.
बांग्लादेश के बिगड़े अंदरूनी हालातों ने वहां राजनीतिक अस्थिरत के माहौल में बांग्लादेशी मिलिट्री को दो भागों में बांट दिया. एक हिस्सा भारत के पक्ष में और दूसरा विरोध में. इसी बीच मक्कार और भारत के दुश्मन नंबर वन पाकिस्तान ने बांग्लादेश में अपना आवागमन बढ़ा दिया. दोनो देशों के नेताओं की यह करीबियां साल 2026 में भारत के परिप्रेक्ष्य में आइंदा क्या गुल खिलाएंगीं. यह भविष्य के गर्भ में ही है.
खामोश भारत के सामने बेशर्म अमेरिका
साल 2025 में अमेरिका और भारत के रिश्तों में हद से पर की खटास देखने को मिली. खासकर दो मौकों पर. पहला तब जब गैर-कानूनी रूप से अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को हथकड़ियों-बेड़ियों में जकड़ कर अमेरिका ने उन्हें भारत वापिस किया. अमेरिका की इस शर्मनाक हरकत पर भारत की चुप्पी ने भी भारतीय की हुकूमत की कार्य प्रणाली और विदेश नीति पर सवालिया निशान लगाए. अमेरिका के इस बेशर्मी भरे कदम की दुनिया ने तो निंदा की. मगर मोदी सरकार की चुप्पी पर उसे अपने ही विरोधी राजनीतिक दलों ने जमकर खरी-खोटी सुनाई. जिसे प्रधानमंत्री मोदी खामोशी के साथ सुनकर हजम भी कर गए. साल गुजर गया मगर भारत की मौजूदा हुकूमत इस बात का अंत तक कोई माकूल जवाब नहीं दे सकी कि, भारतीयों को हथकड़ी बेड़ियों में बांधकर भेजे जाने का कड़ा विरोध भारत की हुकूमत ने अमेरिका के सामने क्यों नहीं जताया.
रूस ने अमेरिका को उसकी औकात दिखाई
अमेरिका की कट्टरता और घिनौनी मानसिकता की पराकाष्ठा तो तब पार हो गई जब उसने, भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लाद दिया. हालांकि, मोदी हुकूमत ने अमेरिका के इस घटिया कदम और ओछी मानसिकता का जो जवाब दिया, उसने ट्रंप और अमेरिका की चूलें हिला दीं. इस मामले में भारत द्वारा अमेरिका की अपेक्षा और भारत का चीन की ओर खुलकर हुए झुकाव ने ट्रंप को दुनिया में कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं छोड़ा. इतना ही नहीं इस मुद्दे पर भारत के जिगरी दोस्त रूस-पुतिन ने खुलकर हमारी मदद की. यह भारत की रुस के साथ गहरी दोस्ती का ही असर था.
चांदी की चमक में खोया सोना
बात जहां तक गुजरते साल 2025 में भारत के आर्थिक उतार-चढ़ावों की करें तो, सोने और चांदी के दामों ने जिस तरह से तूफानी तेजी पकड़ी, उसने न केवल भारत की अर्थ-व्यवस्था में बड़ा उलटफेर कर डाला. अपितु देश दुनिया के तमाम नामी-गिरामी अर्थशास्त्रियों का गुणा-गणित पूर्व आंकलनों को भी धूल चटा दी. दिसंबर 2025 के अंत के दिनों में हालत यह हो गई कि चांदी के दामों की आंधी और चमक में सोने की चमक और कीमतों को भी अपने में समेट कर इतिहास रच दिया. हालांकि अर्थव्यवस्था की नजर से दिसंबर 2025 के मध्य में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए को भी “हाँफते” हुए देखा गया.





