पुणे की महिला ने दिया बिहार में वोट! कांग्रेस ने भाजपा पर लगाया चोरी का आरोप, लेकिन फिर हुआ असली खेला...
देश में चुनावी माहौल के बीच अब ‘वोट चोरी’ का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है. ताजा विवाद का केंद्र बनी पुणे की एक महिला वकील की तस्वीर, जिन्होंने अपनी उंगली पर लगी स्याही की फोटो पोस्ट की, और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर 'वोट चोरी' को लेकर बवाल शुरू हो गया, जहां कांग्रेस ने फिर बीजेपी पर वोट चोरी का इल्जाम लगाया है.
लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत 'जनता का वोट' इन दिनों सवालों के घेरे में है. ब्राजिलियन मॉडल के बाद अब एक पुणे की महिला की फोटो ने बिहार चुनाव में नया बवाल खड़ा कर दिया है. दरअसल सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें पुणे की महिला की उंगली में इंक लगी है.
साथ ही, महिला ने कैप्शन में कहा कि आप भी बिहार में वोट दें. जहां इस तस्वीर ने कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ नया हथियार थमा दिया. इसके बाद कांग्रेस ने दावा किया कि महिला ने महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में भी वोट डाल दिया, यानी 'एक वोट, दो राज्य'! राहुल गांधी के ‘वोट चोरी’ वाले आरोपों के बीच यह मामला और गरमा गया है.
पुणे की महिला ने दिया बिहार में वोट
पुणे की रहने वाली अर्बन वकील उर्मि ने अपनी स्याही लगी उंगली के साथ एक फोटो सोशल मीडिया पर डाली, जिसके कैप्शन में लिखा 'मोदीफाइड इंडिया के लिए वोट डाल दी, जाई के वोट डाली, बिहार’. बस, फिर क्या था,कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने धड़ाधड़ न सिर्फ यह फोटो वायरल कर दी, बल्कि पुरानी फोटो निकालकर आरोप लगाया कि उर्मि ने पिछले साल महाराष्ट्र में वोट डाला था, अब बिहार में कैसे? सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता और उनके सहयोगी इस तस्वीर को ‘वोट चोरी’ का नया उदाहरण बताने लगे.
विपक्ष के आरोप, सरकार पर तंज
राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं ने इसे भाजपा की 'वोट चोरी' की रणनीति बताया. किसी ने कहा कि यह 'मल्टी-स्टेट वोटिंग' अब नया स्टार्टअप है, इन्वेस्टर भाजपा, प्रोडक्ट फेक जनादेश.' है. यहां तक कि गठबंधन के नेता भी तंज कसने लगे कि ‘इनके लिए सिस्टम ही अपना है, जनता की आवाज जा रही है दब.
महिला ने खुद दी सफाई
मामला बढ़ता देख वकील उर्मि ने साफ किया कि उनका मकसद बिहार के वोटरों को मोटिवेट करना था, न कि खुद वोट डालने का दावा करना. उन्होंने कहा कि 'मैंने सिर्फ इतने भर के लिए लिखा था कि बारी तुम्हारी है, बिहार.' लेकिन जरा इस पर सोचिए इंटरनेट पर वायरल होते ऐसे दावे कितना सच है? क्या सिस्टम में खामियां हैं या सिर्फ राजनीतिक आरोप हैं? जब हर वोट की कीमत इतनी बड़ी है, तब ऐसे प्रकरण परिशुद्ध जांच की मांग करते हैं. असली सवाल यही है कि क्या हमारा वोटिंग सिस्टम भरोसेमंद है, या इस पर भी हाथ साफ हो सकता है? यही सोचने का समय है…





