सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से हटाए जाएं आवारा कुत्ते; सुनवाई में और क्या हुआ?
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकारी व निजी स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में कुत्तों के प्रवेश पर सख्त रोक लगाई जाए. अदालत ने यह भी कहा कि जिन्हें उठाया जाए, उन्हें उनकी पुरानी जगह पर वापस न छोड़ा जाए. बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज के बढ़ते मामलों, खासकर बच्चों में, पर चिंता जताई गई थी.
Supreme Court: देश भर में आवारा कुत्तों के हमले की घटना बढ़ती जा रही है. पार्क में कभी छोटे बच्चे तो कभी बुजुर्गों को काट लेते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों पर चिंता जाहिर की और बड़ा आदेश दिया है. कोर्ट ने शुक्रवार 7 नवंबर को आदेश दिया कि आवारा कुत्तों को रेलवे स्टेशन और अस्पताल जैसे सार्वजनिक जगह से हटाया जाए.
SC के जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एन.वी. अंजारिया की बेंच ने आदेश दिया कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस स्टैंड, खेल परिसरों और रेलवे स्टेशनों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर निर्धारित डॉग शेल्टरों में भेजा जाए.
कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर इन मामलों की निगरानी कर रही है. कोर्ट का निर्देश है कि सरकारी व निजी स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में कुत्तों के प्रवेश पर सख्त रोक लगाई जाए. अदालत ने यह भी कहा कि जिन्हें उठाया जाए, उन्हें उनकी पुरानी जगह पर वापस न छोड़ा जाए.
8 हफ्ते का दिया समय
कोर्ट ने आदेश दिया कि यह पूरा अभियान 8 सप्ताह के अंदर पूरा किया जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी. बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज के बढ़ते मामलों, खासकर बच्चों में, पर चिंता जताई गई थी.
अदालत ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, नेशनल हाईवे अथॉरिटी और स्थानीय निकायों को नेशनल हाईवे, राज्य हाईवे और अन्य सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने का भी निर्देश दिया. इसके लिए एक विशेष हाईवे पेट्रोल टीम बनाने को कहा गया है, जो सड़कों से मवेशियों को हटाकर शेल्टर होम में पहुंचाएगी.
क्या है अभियान?
इस अभियान के दौरान आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में रखा जाएगा, जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी. अदालत ने कहा कि सभी नेशनल हाईवे पर आवारा मवेशियों की शिकायत दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाएं और सभी राज्यों के मुख्य सचिव इन आदेशों के पालन को सुनिश्चित करें.
पहले भी दिया था आदेश
इससे पहले कोर्ट ने जुलाई में यह भी कहा था कि राजधानी और आसपास के इलाकों से आवारा कुत्तों को रिहायशी क्षेत्रों से हटाकर शेल्टरों में रखा जाए. क्योंकि लगातार बढ़ रहे कुत्ते के काटने के मामले गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं. अदालत ने ऐसे शेल्टरों में प्रशिक्षित स्टाफ, सैनिटाइजेशन, नसबंदी और टीकाकरण की व्यवस्था अनिवार्य बताई थी. साथ ही चेतावनी दी थी कि कुत्तों को उठाने में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति या संस्था पर कड़ा कदम उठाया जाएगा.
एक अन्य आदेश में कोर्ट ने साफ किया था कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को वापस उसी क्षेत्र में छोड़ा जा सकता है, लेकिन यह नियम उन कुत्तों पर लागू नहीं होगा जो रेबीज़ से संक्रमित हों, संक्रमण के संदेह में हों या जिनमें अत्यधिक आक्रामक व्यवहार देखा जाता हो.
फीडिंग जोन बनाने का आदेश
अदालत ने नगर निकायों को निर्देश दिया था कि आवारा कुत्तों के लिए निर्धारित फीडिंग जोन बनाया जाए, जहां लोग उन्हें खिला सकें. सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों को खिलाना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा और नियम तोड़ने पर कार्रवाई की जाएगी.





