पहलगाम में क्यों नहीं था एक भी सोल्जर? आ गया मोदी सरकार का जवाब- सुनिए
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में बड़ा सवाल उठाया.'हमले के वक्त बैसरन इलाके में एक भी सैनिक क्यों नहीं था?' इस पर मोदी सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में सुरक्षा तैनाती हर साल जून में अमरनाथ यात्रा के दौरान होती है, और इस बार स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने तय समय से पहले यानी 20 अप्रैल से ही पर्यटकों को वहां ले जाना शुरू कर दिया, जिसकी जानकारी प्रशासन को नहीं थी.

पहलगाम में हुए आतंकी हमले को तीन दिन बीत चुके हैं, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई. इस बीच गुरुवार शाम को केंद्र सरकार ने दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसकी अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह ने की. बैठक में विपक्ष ने तीखे सवालों की बौछार कर दी, खासकर इस बात पर कि हमले के समय घटनास्थल पर एक भी सैनिक तैनात क्यों नहीं था. राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, और आप सांसद संजय सिंह जैसे विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. जिस पर अब मोदी सरकार ने जवाब दिया है.
विपक्ष के सवाल- सुरक्षा बल क्यों नहीं थे तैनात?
बैठक में विपक्ष का मुख्य फोकस उस सवाल पर था कि हमले के समय बैसरन क्षेत्र में सुरक्षा बल क्यों तैनात नहीं थे, जबकि यह इलाका एक लोकप्रिय पर्यटन स्थलो में से एक है. यह सवाल सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उठाया, जिसका समर्थन राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और आप सांसद संजय सिंह समेत कई नेताओं ने किया.
मोदी सरकार ने क्या दिया जवाब?
सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि बैसरन इलाके में हर साल जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा से पहले सुरक्षा तैनाती होती है, और उसी दौरान यह रास्ता आधिकारिक रूप से खोला जाता है. चूंकि इस साल कुछ स्थानीय टूर ऑपरेटरों ने 20 अप्रैल से ही पर्यटकों को वहां ले जाना शुरू कर दिया था, इसलिए प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं थी और सुरक्षा बल तैनात नहीं किए गए थे.
सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले पर भी सवाल उठाया. विपक्ष का तर्क था कि जब भारत के पास फिलहाल पर्याप्त जल भंडारण की क्षमता ही नहीं है, तो फिर इस संधि को निलंबित करने का व्यावहारिक लाभ क्या है? इस पर केंद्र सरकार ने साफ किया कि यह कदम तत्काल प्रभाव के लिए नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और प्रतीकात्मक संदेश देने के लिए उठाया गया है. सरकार ने कहा, कि यह फैसला यह दर्शाता है कि भारत अब हर मोर्चे पर सख्त रुख अपनाने को तैयार है. इससे पाकिस्तान को भविष्य की भारतीय नीति का स्पष्ट संकेत मिल गया है.
सुरक्षा स्थिति पर दिया गया ब्योरा
बैठक की शुरुआत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की मौजूदा सुरक्षा हालात पर जानकारी दी. इसके बाद इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख तपन डेका ने एक 20 मिनट की विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें पहलगाम आतंकी हमले का पूरा घटनाक्रम, पहले से मिले खुफिया इनपुट और अब तक की गई कार्रवाइयों को विस्तार से समझाया गया.
बैठक में कौन-कौन?
बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ-साथ देश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए. प्रमुख चेहरों में शामिल थे.
जेपी नड्डा (भाजपा अध्यक्ष)
सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी)
प्रफुल पटेल (एनसीपी)
सस्मित पात्रा (बीजेडी)
शिवसेना के श्रीकांत शिंदे
राजद के प्रेमचंद गुप्ता
डीएमके के तिरुचि शिवा
सपा के राम गोपाल यादव.
यह सर्वदलीय बैठक आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीतिक एकजुटता का संदेश देने के लिए बुलाई गई थी, लेकिन इसमें विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहसें भी देखने को मिलीं.