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संविधान चर्चा पर क्यों आया मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी का जिक्र, सीतारमण ने क्या दिया मैसेज?

Majrooh Sultanpuri Balraj Sahni: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया था. मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को जेल में डाल दिया गया था. अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड रहा है.

संविधान चर्चा पर क्यों आया मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी का जिक्र, सीतारमण ने क्या दिया मैसेज?
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( Image Source:  X )

Majrooh Sultanpuri Balraj Sahni: संसद का शीतकालीन सत्र जारी है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंनेमजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी का नाम लेकर कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड रहा है. उसने अपनी सरकार में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी.

निर्मला सीतारमण ने कहा कि 1949 में मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी दोनों को जेल में डाल दिया गया था. मजरूह सुल्तानपुरी ने मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक में जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई एक कविता सुनाई थी, जिसके लिए उन्हें जेल में डाल दिया गया. इसके बावजूद सुल्तानपुरी ने माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया था.

सीतारमण ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का कांग्रेस का रिकॉर्ड इन दो लोगों तक ही सीमित नहीं है. 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई एक राजनीतिक जीवनी 'नेहरू' पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इतना ही नहीं, उन्होंने 'किस्सा कुर्सी का' नामक फिल्म पर भी सिर्फ इसलिए बैन लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाया गया था.

कौन थे मजरूह सुल्तानपुरी ?

मजरूह सुल्तानपुरी एक उर्दू शायर और गीतकार थे. उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए बेहतरीन गाने लिखे. उनके लिखे गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं. उन्हें 1965 में आई फिल्म दोस्ती के गाने चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला. उनका वास्तविक नाम असरार उल हसन खान है. मजरूह सुल्तानपुरी का जन्म 1 अक्टूबर 1919 को यूपी के आजमगढ़ जिले में हुआ था. उन्हें 1993 में दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनका इंतकाल 24 मई 2000 को मुंबई में हुआ.

बलराज साहनी कौन थे?

बलराज साहनी एक लोकप्रिय अभिनेता थे. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया था. उनके प्रसिद्ध लेखक भीष्म साहनी के बड़े भाई थे. उन्होंने धरती के लाल, दो बीघा जमीन, गर्म हवा, काबुलीवाला, सीमा, भाभी, हकीकत, पवित्र पापी, दुनिया, एक फूल दो माली और अनुराधा जैसी फिल्मों में काम किया था. उनका जन्म 1 मई 1913 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में हुआ था. उन्होंने 13 अप्रैल 1971 को इस दुनिया को अलविदा कहा. उनके बचपन का नाम युधिष्ठिर साहनी था.

निर्मला सीतारमण ने और क्या कहा?

निर्मला सीतारमण ने इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण के बीच आए फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए लाए गए संवैधानिक संशोधनों का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी. उन्होंने कहा कि इस मामले के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने के दौरान कांग्रेस ने 1975 में 39वां संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसके तहत संविधान में अनुच्छेद 392 (ए) जोड़ा गया, जिसके अनुसार राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को देश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती और यह केवल संसदीय समिति के समक्ष ही किया जा सकता है.

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने मुस्लिम महिला तलाक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1986 पारित किया, जिसने मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने के उनके अधिकार से वंचित कर दिया. हमारी पार्टी ने नारी शक्ति अधिनियम पारित किया, जबकि मुस्लिम महिला तलाक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1986 द्वारा मुस्लिम महिलाओं के अधिकार को नकार दिया गया.

सीतारमण ने देश में आपातकाल लागू करने के लिए कांग्रेस की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर 1976 को तत्कालीन राष्ट्रपति ने 42वें संविधान संशोधन अधिनियम को मंजूरी दी थी. इमरजेंसी के दौरान उचित औचित्य के बिना लोकसभा का कार्यकाल बढ़ा दिया गया. विस्तारित कार्यकाल में जब पूरा विपक्ष जेल में था, तब संविधान संशोधन आया. यह पूरी तरह से अमान्य प्रक्रिया थी. लोकसभा में केवल पांच सदस्यों ने विधेयक का विरोध किया. राज्यसभा में इसका विरोध करने वाला कोई नहीं था. संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नहीं थे, बल्कि सत्ता में बैठे लोगों की रक्षा के लिए थे.

मल्लिकार्जुन खरगे ने किया पलटवार

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को निर्मला सीतारमण द्वारा कांग्रेस के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने खुद जवाहरलाल नेहरू को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि संविधान संशोधन ही गंभीर समस्याओं का एकमात्र हल है. खरगे ने कहा कि 3 जुलाई, 1950 को सरदार पटेल ने नेहरू को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि संविधान संशोधन ही गंभीर समस्याओं का एकमात्र समाधान है. पटेल ने खुद उस पत्र में कहा था, 'जैसा कि आप कहते हैं, हमने खुद को इतनी कानूनी और संवैधानिक कठिनाइयों में उलझा लिया है कि हम नहीं जानते कि उनसे कैसे पार पाया जाए. मेरी अपनी भावना है कि बहुत जल्द हमें बैठकर संविधान संशोधन पर विचार करना होगा.'

खरगे ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करके सरदार पटेल के योगदान का भी अनादर किया गया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नेताओं की आलोचना करने का अधिकार नहीं है.

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