असम में क्यों नहीं हो रहा SIR? कांग्रेस बोली- 12 राज्यों में वोट चोरी का खेला, बिहार से लेकर तमिलनाडु तक उठी सियासी जंग
असम में विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया नहीं होने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. पार्टी का आरोप है कि भाजपा 12 राज्यों में वोट चोरी का खेल खेल रही है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बिहार से लेकर तमिलनाडु तक विपक्षी मतदाताओं के नाम काटने की साजिश चल रही है. वहीं चुनाव आयोग ने दावा किया कि प्रक्रिया निष्पक्ष है.
देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर अब सियासत गर्मा गई है. कांग्रेस ने सोमवार को चुनाव आयोग पर मोदी सरकार के साथ मिलकर “वोट चोरी का खेल” खेलने का गंभीर आरोप लगाया है. पार्टी का कहना है कि बिहार में हुए SIR के दौरान 69 लाख मतदाताओं के नाम काटे गए, और अब वही “वोट हेरफेर” का खेल 12 राज्यों में फैलाया जा रहा है.
कांग्रेस ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “अब चुनाव आयोग 12 राज्यों में ‘वोट चोरी’ का खेल खेलने जा रहा है. बिहार में 69 लाख वोट काटे गए थे, अब करोड़ों वोट हटाए जाएंगे. यह खुली मतदाता चोरी है, जो नरेंद्र मोदी और चुनाव आयोग मिलकर कर रहे हैं.”
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित, फिर इतनी जल्दी क्यों?
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो आयोग इतनी जल्दी देशभर में SIR लागू करने की तैयारी क्यों कर रहा है. उन्होंने कहा, “जब मामला उप न्यायिक है, तो चुनाव आयोग को इतनी जल्दबाज़ी क्यों है?”
तिवारी ने यह भी पूछा कि अवैध प्रवासियों को लेकर पारदर्शिता क्यों नहीं बरती जा रही. “बिहार में बीजेपी ने अवैध प्रवासियों का मुद्दा खूब उछाला, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई भी जानकारी साझा नहीं की.' उन्होंने सवाल उठाया कि असम में SIR क्यों नहीं हो रहा- “यह तो बीजेपी सरकार की विफलता का प्रमाण है कि इतने दावे करने के बाद भी कोई अवैध प्रवासी नहीं मिला.”
“बिहार SIR ने उजागर की चुनाव आयोग और बीजेपी की नीयत”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार का SIR अभियान पहले ही चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर चुका है. उन्होंने कहा, “हम अब तक नहीं जानते कि बिहार में क्या हुआ. स्थिति इतनी गंभीर थी कि सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा. खेड़ा ने आरोप लगाया कि बिहार की कवायद ने “बीजेपी और चुनाव आयोग दोनों की मंशा उजागर कर दी.” उन्होंने राहुल गांधी के उस आरोप का भी ज़िक्र किया जिसमें अलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में हेरफेर की बात कही गई थी. “SIT जांच में साफ हुआ कि मतदाता नामों को हटाने के लिए एक केंद्रीकृत ऑपरेशन चलाया गया था,” खेड़ा ने कहा.
'ECI जांच करता, खेल में शामिल हो गया'
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार अभियान के दौरान सामने आए आरोपों पर चुनाव आयोग ने कोई जांच नहीं की. पार्टी ने कहा, “जब SIR होता है, तो अधिकारी घर-घर जाकर नए मतदाता जोड़ते हैं या पुराने हटाते हैं. इस प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आईं, लेकिन चुनाव आयोग ने जांच करने के बजाय खुद खेल में हिस्सा ले लिया.” वहीं, चुनाव आयोग ने सफाई दी कि SIR एक नियमित प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित करना है. आयोग ने कहा कि बिहार चरण में कोई औपचारिक आपत्ति या अपील दर्ज नहीं की गई.
स्टालिन बोले- 'SIR है बीजेपी को मदद करने की साजिश'
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भी SIR प्रक्रिया पर तीखा हमला बोला. उन्होंने इसे “मतदाताओं के अधिकार छीनने और बीजेपी की मदद करने की साजिश” बताया. स्टालिन ने X पर लिखा, “चुनाव से कुछ महीने पहले और मानसून के बीच SIR कराना व्यावहारिक रूप से असंभव है. इसे जल्दबाज़ी और अपारदर्शी तरीके से करना BJP को मदद पहुंचाने की साजिश है.” उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार चरण में “महिलाओं, अल्पसंख्यकों और एससी-एसटी समुदाय के लोगों के नाम बड़ी संख्या में हटाए गए,” जिससे जनता में अविश्वास पैदा हुआ.
चुनाव आयोग द्वारा तमिलनाडु में अगले सप्ताह SIR शुरू करने की घोषणा के बाद स्टालिन ने सहयोगी दलों के साथ बैठक की और 2 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की. “मतदान का अधिकार लोकतंत्र की नींव है. तमिलनाडु इसे बचाने के लिए लड़ेगा- और जीतेगा.'





