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डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने नेहरू की पहली कैबिनेट से क्यों दिया था इस्तीफा? PM मोदी और शाह ने भी किया जिक्र

Dr Bhimrao Ambedkar Nehru Cabinet: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का नाम इस समय सुर्खियों में छाया हुआ है. राज्यसभा में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नेहरू की पहली कैबिनेट से डॉक्टर आंबेडकर ने इस्तीफा दे दिया. पीएम मोदी ने भी कांग्रेस पर बाबा साहेब का अपमान करने का आरोप लगाया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर नेहरू कैबिनेट से आंबेडकर ने इस्तीफा क्यों दिया था...

डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने नेहरू की पहली कैबिनेट से क्यों दिया था इस्तीफा? PM मोदी और शाह ने भी किया जिक्र
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Dr Bhimrao Ambedkar Nehru Cabinet: डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का नाम इस समय सुर्खियों में छाया हुआ है. राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष ने उन पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि उन्होंने आंबेडकर का अपमान किया है. यही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शाह को बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली है. हालांकि, शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर उनके बयान को तोड़ मरोड़ पेश करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान, आरक्षण और आंबेडकर विरोधी पार्टी है.

पीएम मोदी ने भी कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दो बार आंबेडकर को हराने का काम किया है. पंडित नेहरू ने खुद उनके खिलाफ प्रचार किया था. यही नहीं, उन्हें भारत रत्न देने से भी इनकार कर दिया था. उनकी फोटो को भी संसद के सेंट्रल हॉल में नहीं लगने दिया गया.

'बाबा साहेब ने 1951 में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया था'

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में बहुत साफ शब्दों में बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति हमारी श्रद्धा का भाव प्रकट किया था. उन्होंने बताया था कि कैसे कांग्रेस ने आंबेडकर जी का अपमान किया. कांग्रे ने उन्हें इतने सालों तक भारत रत्न से सम्मानित नहीं किया और साथ ही 1952 के चुनाव में षड्यंत्र करके उन्हें हरा दिया था. रिजिजू ने कहा कि मैं एक बौद्ध हूं और बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति हूं. इस देश में बाबा साहेब ने 1951 में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था. 71 साल बाद पीएम मोदी ने मुझे यानी एक बौद्ध को देश का कानून मंत्री बनाया.

बता दें कि जब 1951 में जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे तो उस समय भीमराव आंबेडकर को कानून मंत्री बनाया गया था. हालांकि, बाद में आंबेडकर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. अब यह सवाल पैदा होता है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया था, इसकी वजह क्या थी? आइए इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं...

हिंदू कोड बिल बना इस्तीफे की वजह

दरअसल, आंबेडकर के इस्तीफे की वजह थी- हिंदू कोड बिल... जिसे वे संसद में पास कराना चाहते थे... लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो उन्होंने 27 सितंबर 1951 को इस्तीफा दे दिया. कहा जाता है कि वे बिल का मसौदा रोके जाने से नाराज थे. इस बिल के जरिए महिलाओं को कई अधिकार प्रदान करने की बात कही गई थी. इसके अलावा, उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की मांग की गई थी. हालांकि, पंडित नेहरू और अन्य कांग्रेस नेताओं ने इसका समर्थन किया, लेकिन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और वल्लभभाई पटेल समेत बड़ी संख्या में सांसद इसके खिलाफ थे.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, 11 अप्रैल 1947 को आंबेडकर ने संविधान सभा के सामने हिंदू कोड बिल का प्रस्ताव रखा. इस प्रस्ताव में परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर उसकी विधवा, बेटे और बेटी को समान अधिकार देने की बात कही गई थी. इसके अलावा, हिंदुओं में एक से ज्यादा शादी करने पर रोक लगाने की भी मांग की गई थी.

नेहरू ने की बिल को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश

रिपोर्ट के मुताबिक, 26 नवंबर 1950 को संविधान लागू होने के बाद 5 फरवरी 1951 को हिंदू कोड बिल को आंबेडकर ने संसद में पेश किया. इस पर तीन दिन तक बहस हुई. बाद में निष्कर्ष यह निकला कि इस तरह के बिल केवल हिंदुओं के लिए ही कोई कानून क्यों बने. अगर बनना है तो सभी कि लिए समान कानून बने. इस बिल का काफी विरोध हुआ. 1951 के आखिर में चुनाव भी होने थे. इसे देखते हुए नेहरू ने बिल को कुछ दिनों तक ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की. हालांकि, इससे आंबेडकर नाराज और एक पत्र लिखते हुए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने उनके इस्तीफे को स्वीकार कर लिया.

आंबेडकर ने इस्तीफा देते हुए जो पत्र लिखा था, वह आज गायब है. इसलिए इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि पत्र में क्या लिखा था. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि आंबेडकर एससी-एसटी पर हो रहे अत्याचार समेत कई मुद्दों को लेकर नेहरू से नाराज थे. यही वजह है कि जब उनके द्वारा लाया गया बिल संसद में पारित नहीं हो पाया तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

अमित शाह ने क्या बताई इस्तीफे की वजह?

इससे पहले, मंगलवार को राज्यसभा में बहस के दौरान अमित शाह ने कहा कि डॉक्टर आंबेडकर ने नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा इसलिए दे दिया था, क्योंकि वे सरकार की विदेश नीति और आर्टिकल 370 कानून से सहमत नहीं थे. वहीं, इस्तीफे पर नेहरू ने कहा कि उनके इस्तीफा देने से कैबिनेट पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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