कौन हैं 'Moon Man of India' एम अन्नादुरई जो हो सकते हैं 'इंडिया' अलायंस के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार
उपराष्ट्रपति चुनाव में बड़ा सियासी ट्विस्ट! विपक्ष ‘इंडिया’ गठबंधन इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और 'Moon Man of India' एम अन्नादुरई को मैदान में उतार सकता है. वहीं, एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भी तमिलनाडु से हैं. अब यह चुनाव सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि विज्ञान बनाम राजनीति का मुकाबला भी माना जा रहा है. क्या वैज्ञानिक का कद विपक्ष को एकजुट कर पाएगा?
उपराष्ट्रपति चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन एक बड़े दांव की तैयारी कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक इसरो के पूर्व निदेशक और चर्चित वैज्ञानिक एम. अन्नादुरई का नाम विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर सबसे आगे है. अगर उनकी उम्मीदवारी पर सहमति बनती है तो यह चुनाव सिर्फ सियासी नहीं बल्कि एक "वैज्ञानिक दांव" भी साबित हो सकता है.
एम. अन्नादुरई तमिलनाडु से आते हैं. दिलचस्प बात यह है कि एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन भी तमिलनाडु के ही हैं. ऐसे में यह मुकाबला सीधे-सीधे तमिलनाडु से जुड़ गया है. वहीं, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र से किसी भी तरह का समझौता करने से इनकार कर दिया है और साफ कर दिया है कि डीएमके मजबूती से ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ खड़ी है.
विपक्ष का प्लान: गैर-राजनीतिक चेहरा
सूत्रों के अनुसार विपक्ष चाहता है कि देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर कोई ऐसा चेहरा उतारा जाए, जो राजनीतिक न होकर राष्ट्रीय कद और प्रतिष्ठा रखता हो. यही कारण है कि एम. अन्नादुरई का नाम तेजी से चर्चा में है. हालांकि, डीएमके के वरिष्ठ नेता तिरुचि शिवा का नाम भी सामने आया है, लेकिन इस पर अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर होने वाली बैठक में लिया जाएगा.
कौन हैं एम. अन्नादुरई?
एम. अन्नादुरई वही वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 (2008) और महत्वाकांक्षी मंगलयान (2013) की अगुवाई की थी. उनकी पहचान 'Moon Man of India' के तौर पर होती है. वे इसरो के सैटेलाइट सेंटर (ISAC) के निदेशक भी रहे और उनके नेतृत्व में भारत ने कम लागत वाले अंतरिक्ष मिशनों में ऐतिहासिक सफलता हासिल की.
'Moon Man' की उपलब्धियां
2 जुलाई 1958 को जन्मे अन्नादुरई ने 1982 में इसरो जॉइन किया. वे 2015 से 2018 तक यूआर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) के डायरेक्टर रहे. इससे पहले वे रिमोट सेंसिंग और छोटे सैटेलाइट सिस्टम के प्रोग्राम डायरेक्टर भी रह चुके हैं. विज्ञान और तकनीक में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया.
डीएमके की मुश्किलें और विपक्ष का दबाव
विपक्ष के भीतर तिरुचि शिवा का नाम भी चर्चा में है, लेकिन ममता बनर्जी की टीएमसी साफ चाहती है कि उम्मीदवार गैर-राजनीतिक हो. यही कारण है कि अन्नादुरई का नाम सबसे आगे बढ़ रहा है. वहीं, डीएमके की मुश्किल यह है कि तमिलनाडु की कई क्षेत्रीय पार्टियां एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को समर्थन दे रही हैं.
सरकार के साथ चुनावी गणित
संसद में उपराष्ट्रपति चुनाव का गणित पूरी तरह सत्तापक्ष यानी एनडीए के साथ है. ऐसे में विपक्ष जानता है कि यह लड़ाई आसान नहीं है. बावजूद इसके विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि वह बिना लड़े मैदान नहीं छोड़ेगा. विपक्ष यह भी नहीं चाहता कि वह बीजेपी के उम्मीदवार पर सहमति देकर "सियासी सरेंडर" करता दिखे.
वोटिंग से पहले गहमागहमी
बीजेपी और एनडीए विपक्षी दलों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच वाईएसआर कांग्रेस ने सीपी राधाकृष्णन को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है. दूसरी ओर, विपक्ष 9 सितंबर को अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा करेगा. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या एम. अन्नादुरई विपक्ष की संयुक्त पसंद बन पाते हैं या फिर कोई नया नाम सामने आता है.





