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कौन थीं मातंगिनी हाजरा, जिन पर दिए BJP सांसद के बयान को लेकर बंगाल में मचा बवाल? जानिए विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर

राज्यसभा में भाजपा सांसद दिनेश शर्मा द्वारा स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा को लेकर दिए गए बयान के बाद भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है. TMC ने इस टिप्पणी को बंगाल की संस्कृति और शहीदों का अपमान बताते हुए भाजपा को 'बांग्ला विरोधी' करार दिया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर बंगाल के इतिहास और प्रतीकों को न समझने का आरोप लगाया. विधानसभा चुनावों से पहले यह विवाद बंगाल की राजनीति में नए सिरे से ‘बंगाली अस्मिता’ बनाम ‘बाहरी राजनीति’ की बहस को हवा दे रहा है.

कौन थीं मातंगिनी हाजरा, जिन पर दिए BJP सांसद के बयान को लेकर बंगाल में मचा बवाल? जानिए विधानसभा चुनाव पर क्या होगा असर
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( Image Source:  x.com/nilanjanaroy/ANI )

Who is Matangini Hazra: राज्यसभा में भाजपा सांसद दिनेश शर्मा की एक टिप्पणी के बाद गुरुवार को भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच नया सियासी टकराव खड़ा हो गया. शर्मा ने सदन में कहा कि प्रसिद्ध बंगाली स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा ने 'मुस्लिम होते हुए भी' वंदे मातरम् का नारा लगाया था. इस बयान पर TMC ने तीखी आपत्ति जताते हुए भाजपा को 'बांग्ला विरोधी (Bangla birodhi)' और 'बाहिरागतो (outsiders)' करार दिया. इसके साथ ही उसने पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पर हमला तेज कर दिया.

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दिनेश शर्मा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सवाल उठाया, “एक भाजपा नेता कह रहे हैं कि मातंगिनी हाजरा मुस्लिम थीं. क्या भाजपा को बंगाल के बारे में कुछ भी पता है?” ममता के इस बयान के साथ ही विवाद और गहरा गया.

कौन थीं मातंगिनी हाजरा?

मातंगिनी हाजरा, जिन्हें ‘गांधी बुड़ी’ के नाम से भी जाना जाता है, महात्मा गांधी के आह्वान पर स्वतंत्रता आंदोलन में कूदने वाली अग्रणी महिलाओं में थीं. सितंबर 1942 में, 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने करीब 6,000 प्रदर्शनकारियों, जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं, के साथ ब्रिटिश हुकूमत से तमलुक पुलिस स्टेशन अपने कब्जे में लेने के लिए जुलूस का नेतृत्व किया था. पुलिस स्टेशन के सामने ब्रिटिश भारतीय पुलिस की गोलियों से उनकी मौत हो गई और वे भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआती शहीदों में शामिल हो गईं.

भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर TMC ने बोला हमला

यह पहला मौका नहीं है जब बंगाल की संस्कृति और प्रतीकों को लेकर भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर TMC ने हमला बोला हो. इसी सप्ताह लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' कहे जाने पर भी विवाद खड़ा हुआ था. इस पर TMC सांसद सौगत राय ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री को 'बंकिम बाबू' कहना चाहिए था. इसके बाद जब एक अन्य भाजपा सांसद ने गलती से उन्हें 'बंकिम दास चट्टोपाध्याय' कह दिया, तो ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से माफी की मांग कर दी.

बंगाली गौरव को ठेस पहुंचाने की साजिश कर रही भाजपा

ममता बनर्जी ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा नेताओं ने कभी स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को 'आतंकी' और समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को 'ब्रिटिश एजेंट' तक कहा है. उनके मुताबिक, ये सभी बयान बंगाली गौरव को ठेस पहुंचाने की साजिश का हिस्सा हैं.

SIR को लेकर BJP और TMC के बीच टकराव हुआ तेज

इस बीच, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बीच दोनों दलों के बीच टकराव और तेज हो गया है. TMC प्रवक्ता कुणाल घोष ने दिनेश शर्मा के बयान को 'दुर्भाग्यपूर्ण' और 'गैर-जिम्मेदाराना' बताते हुए भाजपा से माफी की मांग की. उन्होंने कहा, “मातंगिनी हाजरा भारत माता की प्रतीक हैं. उनके धर्म पर सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं है.”

'भाजपा बंगाल के इतिहास को नहीं जानती है'

TMC ने X पर भी भाजपा पर हमला बोलते हुए लिखा कि भाजपा न तो बंगाल के इतिहास को जानती है, न ही उसके शहीदों और प्रतीकों का सम्मान करती है. पार्टी ने इसे बंगाल से भाजपा के 'गहरे और पुराने disconnect' का सबूत बताया.

भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से नहीं दिया कोई बयान

दिलचस्प बात यह है कि तमलुक, जहां मातंगिनी हाजरा शहीद हुई थीं, पूर्व मेदिनीपुर जिले में आता है, जो भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी का गृह जिला है. हालांकि, इस मुद्दे पर अधिकारी सहित अन्य भाजपा नेताओं ने सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि शर्मा की टिप्पणी से पार्टी के भीतर भी नाराजगी है और इससे असहज स्थिति पैदा हुई है.

भाजपा पर 'बंगाल विरोधी' होने का आरोप लगाती रही है TMC

TMC इस विवाद को चुनावी लाभ में बदलने की कोशिश में है. पार्टी लंबे समय से भाजपा पर 'बंगाल विरोधी' होने का आरोप लगाती रही है और केंद्र सरकार पर मनरेगा, पीएम आवास योजना जैसी योजनाओं के फंड रोकने का दावा करती आई है. ममता बनर्जी का कहना है कि यह सब बंगाली भाषा, संस्कृति और पहचान को दबाने की साजिश का हिस्सा है.

मुख्यमंत्री ने दो टूक कहा, “हमें किसी भाषा से दुश्मनी नहीं है. भारत की ताकत उसकी विविधता में एकता है, लेकिन अगर हमारी भाषा और संस्कृति मिटाने की कोशिश हुई, तो हम शांतिपूर्वक, मजबूती से और राजनीतिक तरीके से विरोध करेंगे.”

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