कौन हैं पाकिस्तान के 5 टॉप आर्मी अफसर, जिन्होंने आतंकियों के जनाजे में बहाए आंसू? देखिए पूरी Detail
India-Pakistan Tension: ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. इनके जनाजे में पाकिस्तान के टॉप आर्मी अफसर देखे गए. चौंकाने वाली बात तो ये रही पाकिस्तान ने इन आतंकियों को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी, जैसे कि किसी देश के शहीद जवान या फिर बड़े नेताओं को दी जाती है.

India-Pakistan Tension: पाकिस्तान को भारत ने उसकी औकात तो दिखा दी, लेकिन पाकिस्तान आतंक का कितना सम्मान करता है... ये उनके खुद के टॉप आर्मी अफसरों ने ही दिखा दिया. भारत ने आतंकियों को चुन-चुनकर मार तो पाकिस्तान ने उन आतंकियों को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी और इसमें शामिल हुआ पाकिस्तान के 5 टॉप आर्मी अफसर, जिन्होंने सर झुकाकर इनके जनाजे में आंसू बहाए.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत , भारतीय सशस्त्र बलों ने नौ आतंकी स्थलों को निशाना बनाया था , जिनमें मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मरकज तैयबा, बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का मरकज सुभान अल्लाह और सियालकोट में हिजबुल मुजाहिदीन का महमूदा जोया अड्डा शामिल था. इसमें मारे गए आतिंकियों का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया और आतंकवादियों के ताबूतों को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया था.
5 टॉप आर्मी अफसर, जो आतंकियों के जनाजे में हुए शामिल:
- लेफ्टिनेंट जनरल फ़ैयाज़ हुसैन शाह
- मेजर जनरल राव इमरान सरताज
- ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान शब्बीर
- डॉ. उस्मान अनवर
- मलिक सोहैब अहमद भेरथ
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए थे 100 से अधिक आतंकवादी
ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए. इनमें खालिद उर्फ अबू अकाशा, लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था जो जम्मू-कश्मीर में सक्रिय था. पेशावर में रहते हुए उसने अफगानिस्तान से पाकिस्तान तक हथियारों की तस्करी में अहम भूमिका निभाई थी.
मारा गया कसाब का ट्रेनर
मुदस्सिर खादियन खास, जो मुदस्सर और अबू जुंदाल जैसे नाम रखता था, एक लश्कर कार्यकर्ता था जो मुरीदके आतंकवादी शिविर का प्रभारी था. 2008 के मुंबई हमलों के दौरान जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब ने इसी शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त किया था. मुंबई हमलों में शामिल एक अन्य आतंकवादी डेविड हेडली ने भी मुरीदके में प्रशिक्षण प्राप्त किया था.
मारे गए आतंकियों में यूसुफ अजहर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद, जो 1999 में आईसी-814 के अपहरण और 2019 के पुलवामा विस्फोट में शामिल थे, वे भी 7 मई की सुबह ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए थे.