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नया या पुराना कौन सा इनकम टैक्स स्लैब आपके लिए है सही? जानें किसके लिए कौन है फायदेमंद

भारत की आयकर प्रणाली प्रगतिशील ढांचे पर आधारित है, जो निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है. बजट 2024 में नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव किए गए थे. अब बजट 2025 में पुराने टैक्स रिजीम को खत्म करने की चर्चा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट पेश करेंगी.

नया या पुराना कौन सा इनकम टैक्स स्लैब आपके लिए है सही? जानें किसके लिए कौन है फायदेमंद
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नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 29 Jan 2025 7:00 AM IST

भारत में आयकर प्रणाली एक प्रगतिशील ढांचे पर आधारित है, जो निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है. इसमें व्यक्ति की आय के अनुसार कर की दरें तय की जाती हैं, जहां अधिक आय पर उच्च कर दर लागू होती है. हर वित्तीय वर्ष में कर संरचना की समीक्षा की जाती है, और केंद्रीय बजट में समय-समय पर इसमें संशोधन किया जाता है. बजट 2024 में भी इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए नई टैक्स व्यवस्था में कुछ बदलाव किए गए.

बजट 2025 को लेकर चर्चा है कि सरकार पुराने टैक्स रिजीम को खत्म कर सकती है. बजट 2023 में नए टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट बनाया गया था, लेकिन टैक्सपेयर्स अब भी दोहरे टैक्स सिस्टम की जटिलता पर सवाल उठा रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट पेश करेंगी, जिसमें आसान और स्पष्ट टैक्स सिस्टम की उम्मीद की जा रही है.

नए और पुराने में कितना लगता है टैक्स?

नई टैक्स व्यवस्था के तहत, 60 वर्ष से कम उम्र के करदाताओं के लिए निम्नलिखित स्लैब लागू किए गए हैं. ₹3 लाख तक की आय कर-मुक्त है, जबकि ₹3 लाख से ₹7 लाख की आय पर 5% टैक्स लगता है. इसके बाद की श्रेणियों में क्रमशः 10%, 15%, 20% और ₹15 लाख से अधिक की आय पर 30% कर दर लागू है. यह नई प्रणाली सरल और कम टैक्स दरों की पेशकश करती है, लेकिन छूट और कटौती सीमित हैं. इसके विपरीत, पुरानी टैक्स व्यवस्था में आय पर कई प्रकार की छूट और कटौती की सुविधा उपलब्ध है, जैसे कि धारा 80C के तहत निवेश और धारा 80D के तहत बीमा प्रीमियम पर छूट. हालांकि, पुरानी प्रणाली में टैक्स की दरें तुलनात्मक रूप से अधिक हैं.

नए टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा

नई व्यवस्था के तहत वेतनभोगी करदाताओं के लिए मानक कटौती को बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है, जबकि पुरानी व्यवस्था में यह ₹50,000 तक सीमित है. दोनों व्यवस्थाओं के बीच चुनाव करते समय व्यक्ति को अपनी आय, निवेश और वित्तीय प्राथमिकताओं के आधार पर सबसे उपयुक्त विकल्प चुनना चाहिए.

आय के आधार पर होती है काउंट

करदाता अपनी टैक्स देने की काउंटिंग अपनी कुल आय और कटौतियों के आधार पर कर सकते हैं. पुरानी व्यवस्था में विभिन्न छूट और कटौतियों का लाभ उठाकर टैक्स देनदारी कम किया जा सकता है, जबकि नई व्यवस्था में आय के आधार पर सीधे कर की काउंटिंग होती है.

सही टैक्स रिजीम चुनें

अपने टैक्स की योजना बनाते समय, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आप अपने नियोक्ता को चुनी गई टैक्स व्यवस्था की जानकारी दें. इससे आपके वेतन से सही तरीके से टैक्स की कटौती की जा सकेगी. दोनों व्यवस्थाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन करना और सही विकल्प चुनना आपकी टैक्स योजना को कुशल और प्रभावी बना सकता है.

बजट 2025
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