जो होता है दोनों की मर्जी से... SC ने 16 साल तक लिव-इन में रहे पार्टनर पर लगे रेप के आरोप को किया रद्द
Supreme Court on Live-in relationship: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि यदि कोई महिला लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, तो वह यह दावा नहीं कर सकती कि उसे शादी के वादे के तहत शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में यह साफ करना मुश्किल है कि यौन संबंधों के पीछे की वजह सिर्फ शादी का वादा था या नहीं.

Supreme Court: आज के समय में लिव-इन में रहना एक सामान्य बात हो गई है. कई देशों में शादी से पहले युवा एक साथ रहते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि उनका यह रिश्ता शादी तक नहीं पहुंच पाता और मामला कोर्ट तक पहुंच जाता है. ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि अगर कपल लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं तो महिला पुरुष पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप नहीं लगा सकती.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला ने अपने लिव-इन पार्टनर पर आरोप लगाया कि वह कई सालों से एक साथ रहे हैं और उसने शादी का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, लेकिन अब शादी से इनकार कर रहा है. महिला ने कोर्ट से आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने महिला की अपील को खारिज कर दिया. दिया.
बिना मर्जी के कुछ नहीं होता- SC
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, यदि कोई महिला लंबे समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, तो वह यह दावा नहीं कर सकती कि उसे शादी के वादे के तहत शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया था, ताकि वह अपने साथी के पार्टनर पर रेप का आरोप लगा सके. अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में यह साफ करना मुश्किल है कि यौन संबंधों के पीछे की वजह सिर्फ शादी का वादा था या नहीं. कोर्ट ने आगे कहा कि दोनों पक्ष (कपल) अच्छी तरह से शिक्षित थे और सहमति से रिश्ते में थे. दोनों ही अलग-अलग शहरों में रहे के बावजूद एक-दूसरे से मिलते रहते थे. अदालत ने मामले को लिव-इन रिलेशनशिप करार दिया, जो अब टूट गया है.
क्या था मामला?
यह मामला एक बैंक मैनेजर से जुड़ा था, जिस पर उसकी 16 साल की लिव-इन पार्टनर, एक लेक्चरर ने बलात्कार का आरोप लगाया था. , कोर्ट ने कहा क्योंकि यह रिश्ता इतने सालों से चला आ रहा है इसलिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि शिकायतकर्ता लगभग 16 वर्षों तक कथित आरोपी की मांगों के आगे झुकती रही और उसने कहीं भी कोई विरोध नहीं किया कि वह शादी के झूठे वादे के बहाने उसका यौन शोषण कर रहा था. कोर्ट ने कहा कि भले ही शादी का झूठा वादा किया गया हो, लेकिन महिला का इतने लंबे समय तक रिश्ते में रहना उसके आरोप को कमजोर करता है.