IPS और IFS पर अपनी धाक दिखाते हैं IAS अधिकारी... सुप्रीम कोर्ट ने क्यों की ये टिप्पणी? समझें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट में आज हुई एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों के बीच मतभेदों पर चर्चा हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन सेवाओं के बीच अहंकार की लड़ाई का भी जिक्र किया.

सुप्रीम कोर्ट में आज हुई एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों के बीच मतभेदों पर चर्चा हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन सेवाओं के बीच अहंकार की लड़ाई का भी जिक्र किया. यह टिप्पणी उत्तराखंड में प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) निधि के दुरुपयोग से जुड़ी सुनवाई के दौरान आई.
इस निधि का उद्देश्य वनरोपण और वन संरक्षण को बढ़ावा देना है. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सरकारी सेवा के अपने अनुभवों के आधार पर, अक्सर आईएएस अधिकारी खुद को आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों से यानी एक दूसके से महान समझते हैं. जस्टिस ने आगे कहा कि यह मुद्दा सभी राज्यों में बना हुआ है और इसमें IPS और IFS अधिकारियों में गुस्सा पैदा हो रही है.
एक ही कैडर में होने के बावजूद क्यों माने आईएएस की बात?
ANI से न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि, तीन साल तक सरकारी वकील और 22 साल तक न्यायधीश के रूप में अपने अनुभव के आधार पर मैं बता सकता हूं कि IAS अधिकारी IPS और IFS पर अपना रौब दिखाता है. सभी राज्यों में हमेशा संघर्ष होता है. आईपीएस और आईएफएस के बीच हमेशा यह नाराजगी रहती है कि हालांकि वे एक ही कैडर का हिस्सा हैं, फिर भी IAS उन्हें वरिष्ठ क्यों मानते हैं.
कोर्ट ने कहा कि IPS और IFS के बीच इस बात की नाराजगी है कि एक ही कैडर से होने के बावजूद उन्हें क्यों IAS की बातें सुननी चाहिए. दरअसल आज कोर्ट में पर्यावरण से जुड़े मामलों में सुनवाई हो रही थी जहां पर जहां आईएएस अधिकारियों ने वन अधिकारियों को अपने आदेश का पालन करने को कहा था. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया है कि वह अधिकारियों के बीच इस तरह के आंतरिक संघर्षों को सुलझाने का प्रयास करेंगे. अब यहां से आगे ये मामला क्या रुख अख्तियार करता है, इस पर सभी की नजरें होंगी.