Begin typing your search...

Sahyog पोर्टल क्या है? एक साल में 2,300 ब्लॉकिंग ऑर्डर, WhatsApp सबसे आगे, YouTube-Telegram भी निशाने पर

Sahyog पोर्टल के पहले साल में ही भारत में ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉकिंग की रफ्तार तेज़ी से बढ़ी है. द इंडियन एक्‍सप्रेस को RTI के तहत मिले आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच सरकार ने Sahyog के ज़रिए 2,300 से अधिक ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए, यानी औसतन रोज़ाना 6 आदेश. इनमें से 78% से ज़्यादा आदेश Meta के प्लेटफॉर्म्स - WhatsApp, Facebook और Instagram - को भेजे गए.

Sahyog पोर्टल क्या है? एक साल में 2,300 ब्लॉकिंग ऑर्डर, WhatsApp सबसे आगे, YouTube-Telegram भी निशाने पर
X
( Image Source:  Sora AI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Published on: 15 Dec 2025 10:22 AM

केंद्र सरकार का Sahyog पोर्टल, जिसे अक्टूबर 2024 में लॉन्च किया गया था, अपने पहले ही साल में भारत के ऑनलाइन कंटेंट रेगुलेशन और ब्लॉकिंग सिस्टम का एक अहम औज़ार बनकर उभरा है. RTI के तहत इंडियन एक्‍सप्रेस को मिले आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच सरकार ने Sahyog पोर्टल के ज़रिए 2,300 से ज़्यादा कंटेंट ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए.

स्‍टेट मिरर अब WhatsApp पर भी, सब्‍सक्राइब करने के लिए क्लिक करें

इन आंकड़ों से पहली बार यह साफ़ हुआ है कि यह विवादित पोर्टल कितनी तेज़ी से भारत के बढ़ते ऑनलाइन सेंसरशिप ढांचे का केंद्र बन गया है. औसतन देखा जाए तो इस एक साल में हर दिन करीब 6 ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी किए गए.

WhatsApp सबसे ज़्यादा निशाने पर

RTI डेटा के अनुसार, ये ब्लॉकिंग ऑर्डर 19 अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को भेजे गए, जिनमें WhatsApp, Facebook, Instagram, YouTube, Telegram, Google, Apple और Amazon जैसे बड़े नाम शामिल हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि Meta के प्लेटफॉर्म्स - WhatsApp, Facebook और Instagram - को कुल आदेशों का 78 प्रतिशत से ज़्यादा हिस्सा मिला. WhatsApp को 1,392, Facebook को 255 और Instagram को 169 ब्लॉकिंग ऑर्डर मिले. यानी सिर्फ Meta के प्लेटफॉर्म्स को कुल 1,816 ब्लॉकिंग ऑर्डर भेजे गए. इसके अलावा YouTube को 176 ऑर्डर, Telegram को 123, Google को 93, Apple को 43, Amazon को 23, वहीं, Microsoft (10), LinkedIn (2) और Snapchat (1) समेत 11 अन्य ऑनलाइन इंटरमीडियरीज़ को कुल 38 आदेश भेजे गए. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एक ब्लॉकिंग ऑर्डर में कई लिंक या अकाउंट शामिल हो सकते हैं, जिन पर प्लेटफॉर्म्स को कार्रवाई करनी होती है.

Sahyog क्या है और क्यों विवादों में है?

Sahyog पोर्टल को गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) द्वारा संचालित किया जाता है. इसे अक्टूबर 2024 में एक “सिंगल विंडो सिस्टम” के तौर पर शुरू किया गया था, ताकि केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को कंटेंट हटाने या ब्लॉक करने के आदेश दे सकें. Sahyog के ज़रिए जारी किए गए आदेश IT Act, 2000 की धारा 79(3)(b) के तहत भेजे जाते हैं. इस धारा के तहत अगर कोई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सरकार द्वारा बताए गए कंटेंट को नहीं हटाता, तो वह अपनी “सेफ हार्बर” सुरक्षा खो सकता है.

सेफ हार्बर का मतलब है कि सोशल मीडिया कंपनियों को यूज़र द्वारा पोस्ट किए गए कंटेंट के लिए कानूनी जिम्मेदारी से छूट मिलती है. यह छूट खत्म होने का डर प्लेटफॉर्म्स को आदेश मानने के लिए मजबूर करता है.

Section 69A से अलग है Sahyog का रास्ता

अब तक भारत में ऑनलाइन कंटेंट ब्लॉक करने के लिए ज़्यादातर Section 69A का इस्तेमाल होता रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मामलों में लागू होता है. लेकिन Sahyog के तहत भेजे गए आदेश Section 69A के दायरे से बाहर आते हैं. यही वजह है कि डिजिटल राइट्स कार्यकर्ताओं और टेक कंपनियों के बीच यह पोर्टल विवाद का विषय बना हुआ है. Elon Musk की कंपनी X (पहले Twitter) ने Sahyog को सीधे तौर पर “censorship portal” तक कह दिया था.

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बढ़ी कार्रवाई

RTI के तहत सामने आए इस डेटा में मई 2025 का दौर भी शामिल है, जब सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बड़े पैमाने पर ऑनलाइन कंटेंट और अकाउंट्स पर कार्रवाई की. इस दौरान सरकार ने उन अकाउंट्स को निशाना बनाया, जिनके बारे में दावा किया गया कि वे पाकिस्तान से संचालित ऑनलाइन प्रोपेगेंडा फैला रहे थे. खुद X ने उस समय बयान जारी कर कहा था कि उसे भारत सरकार की ओर से 8,000 से ज़्यादा अकाउंट्स ब्लॉक करने के आदेश मिले हैं. इनमें अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों और कई प्रभावशाली यूज़र्स के अकाउंट भी शामिल थे.

ईमेल से Sahyog तक: बढ़ता दायरा

एक वरिष्ठ इंडस्ट्री एग्ज़ीक्यूटिव ने बताया कि वास्तविक ब्लॉकिंग ऑर्डर्स की संख्या इससे भी ज़्यादा हो सकती है. वजह यह है कि कई बार Sahyog पोर्टल तकनीकी कारणों से डाउन रहता है, ऐसे में सरकारी एजेंसियां सीधे ईमेल के ज़रिए भी आदेश भेजती हैं. I4C ने यह भी खुलासा किया है कि अब तक 118 से ज़्यादा ऑनलाइन इंटरमीडियरीज़ को Sahyog से जोड़ा जा चुका है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में और ज्यादा डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सरकारी टेकडाउन आदेशों का पालन करना होगा.

राज्यों और केंद्र की एजेंसियों की भूमिका

ये ब्लॉकिंग ऑर्डर केवल केंद्र सरकार तक सीमित नहीं हैं. RTI डेटा के अनुसार, इन्हें केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) की विभिन्न एजेंसियों ने जारी किया. इससे पहले, I4C ने कर्नाटक हाई कोर्ट में जानकारी दी थी कि मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच, 426 नोटिस भेजे गए थे, जिनमें 1.1 लाख से ज़्यादा लिंक और अकाउंट्स ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए थे.

अगर तुलना की जाए, तो मार्च 2024-25 के बीच जहां लगभग दिन में एक आदेश जारी हो रहा था, वहीं अक्टूबर 2024-25 में यह संख्या बढ़कर दिन में छह से ज़्यादा हो गई. यह साफ़ दिखाता है कि Sahyog ने सरकारी एजेंसियों के लिए ऑनलाइन कंटेंट हटाने की प्रक्रिया को कहीं ज़्यादा आसान और तेज़ बना दिया है.

सरकार और कंपनियों की चुप्पी

रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय, Meta, Google, Microsoft, Apple, Amazon और Telegram - किसी ने भी इन ब्लॉकिंग ऑर्डर्स या उनके आधार को लेकर सवालों का जवाब नहीं दिया. इससे पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सवाल और गहरे हो जाते हैं.

X बनाम सरकार और कोर्ट का फैसला

इस साल की शुरुआत में X ने केंद्र सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया, यह दावा करते हुए कि Section 79(3)(b) के ज़रिए सरकार एक पैरेलल कंटेंट ब्लॉकिंग सिस्टम बना रही है. हालांकि, सितंबर 2025 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया. X ने साफ़ किया है कि वह इस फैसले को आगे चुनौती देगा.

IT नियमों में बदलाव और नए सेफगार्ड

अक्टूबर 2025 में सरकार ने IT Rules में संशोधन किया. इसके तहत तय किया गया कि Section 79(3)(b) के तहत ब्लॉकिंग ऑर्डर केवल वरिष्ठ अधिकारी ही जारी कर सकेंगे और हर महीने इन आदेशों की समीक्षा (Monthly Review) अनिवार्य होगी. सरकार का दावा है कि इससे मनमानी पर रोक लगेगी, जबकि आलोचकों का कहना है कि Sahyog अब भी ऑनलाइन अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है.

टेक न्यूज़
अगला लेख