भारत की Brahmos मिसाइल में ऐसा क्या है? खरीदने के लिए लाइन में खड़े हैं कई देश
भारत की ब्रह्मोस मिसाइल का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है. फिलिपिंस के बाद इंडोनेशिया और यूएई जैसे देश भी इसे खरीदने की इच्छा जता रहे हैं. इस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में से एक माना जाता है और पाकिस्तान और चीन के पास भी इसका कोई जवाब नहीं है.
जब भी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की बात होती है तो भारत की ब्रह्मोस का नाम सबसे ऊपर आता है. यह एक ऐसी मिसाइल है जिसका पूरी दुनिया में कोई जवाब नहीं है. एक बार फिर यह मिसाइल चर्चा में है. लेकिन किसी जंग में इस्तेमाल होने या पाकिस्तान और चीन की वजह से नहीं, बल्कि कई देश इसे खरीदने में रुचि दिखा रहें हैं, इसे लेकर.
कभी हथियारों के मामले में भारत पूरी तरह से दूसरे देशों पर निर्भर था और उसे लगभग सभी हथियार खरीदने पड़ते थे. लेकिन आज भारत न केवल अपने लिए तमाम आधुनिक हथियार बना रहा है, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात भी कर रहा है. इसी कड़ी में भारत ने फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की डील की थी और उसे इनकी डिलिवरी भी कर रहा है. और अब इस मिसाइल की खूबियों को देखते हुए यूएई, सऊदी अरब, वियतनाम, मिस्र और इंडोनेशिया जैसे देशों ने इसे खरीदने में रुचि दिखाई है.
ब्रह्मोस भारत की सबसे आधुनिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत और रूस के संयुक्त साथ मिलकर डेवलप किया है. इसका नाम दो प्रमुख नदियों - भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा के नाम पर रखा गया है. इसका इस्तेमाल भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों करते हैं.
ब्रह्मोस मिसाइल की खूबियां
- ब्रह्मोस मिसाइल सुपरसोनिक गति (2.8 मैक) से यात्रा करती है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज मिसाइलों में से एक बनाती है. इसकी तेज़ गति के कारण इसे ट्रैक करना और मार गिराना बेहद कठिन है.
- शुरुआत में ब्रह्मोस की रेंज लगभग 290 किलोमीटर थी, लेकिन अब इसे 450 से 500 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया है. भविष्य में इसकी रेंज 800 किलोमीटर तक ले जाने की योजना है.
- ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता को कोई जोड़ नहीं है. यह 1 मीटर के भीतर अपने लक्ष्य को भेद सकती है, जिससे इसे दुश्मन के ठिकानों को सटीकता से नष्ट करने में महारत हासिल है.
- ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र, पनडुब्बी और हवा से लॉन्च किया जा सकता है. इसकी बहुउद्देशीय लॉन्च क्षमता इसे सभी सैन्य प्लेटफार्मों के लिए उपयुक्त बनाती है.
- यह मिसाइल अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक से लैस है, जिससे इसे राडार से ट्रैक करना लगभग नामुमकिन हो जाता है.
कैसे तैयार हुई ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और रूस की NPOM कंपनी ने मिलकर डेवलप किया है. 1998 में स्थापित ब्रह्मोस एयरोस्पेस का उद्देश्य एक ऐसी मिसाइल बनाना था, जो दुनिया में अपनी तरह की पहली हो.
भारत की तीनों सेना करती हैं ब्रह्मोस कम इस्तेमाल
भारत की तीनों सेना यानी थल सेना, नौसेना और वायुसेना इस मिसाइल का इस्तेमाल करती हैं. इसे पहाड़ी और मैदानी इलाकों में युद्धक संचालन के लिए तैनात किया गया है. वहीं यह मिसाइल दुश्मन के जहाजों को नष्ट करने के लिए भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात है. जबकि वायुसेना के लिए तैयार वर्जन को सुखोई-30 MKI विमानों से लॉन्च किया जा सकता है.
ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक संस्करण यानी ब्रह्मोस-II पर भी काम जारी है, जो आवाज से 5 गुना यानी मैक-5 की स्पीड से यात्रा कर सकेगी. यह संस्करण भारत की सैन्य क्षमताओं को अगले स्तर पर ले जाएगा.





