भारत में अमेरिका का 'इनविजिबल' Fighter Jet F-35, खूबियां ऐसी कि PAK और चीन के छूटे पसीने!
दुनिया में यूं तो पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान रूस और चीन के पास भी हैं लेकिन अमेरिका के एफ-35 का कोई सानी नहीं है. यह जबरदस्त अमेरिकी विमान इन दिनों एयरो इंडिया शो में भाग लेने के लिए भारत में है और इसकी उड़ान देखकर हर कोई हैरान है.

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का जिक्र हो और अमेरिका के F-35 का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता. यह वही लड़ाकू विमान है जिसने दुनिया को फिफ्थ जेनरेशन के विमान से रूबरू कराया. यह अमेरिका की सेना का अभिन्न अंग तो है ही, उसके कई सहयोगी देश भी इसका इस्तेमाल करते हैं. यह ऐसा विमान है जिसका नाम सुनकर ही भारत के पड़ोसी पाकिस्तान और चीन की पेशानी पर बल पड़ जाते हैं. अब आप कहेंगे कि विमान अमेरिका का है तो भारत के इन पड़ोसियों को क्यों ही चिंता होगी. तो हम आपको बता दे कि अमेरिका पिछले कुछ समय से भारत को यह विमान बेचने की पेशकश कर रहा है. और इन दिनों यह विमान बेंगलुरू में चल रहे एयरो इंडिया 2025 में भाग लेने भी आया हुआ है.
F-35 लाइटनिंग II
F-35 लाइटनिंग II एक पांचवीं पीढ़ी का मल्टी-रोल स्टील्थ फाइटर जेट है, जिसे लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है. यह विमान एयर सुपीरियरिटी, जमीनी हमले, खुफिया निगरानी और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसी क्षमताओं से लैस है. इसकी उन्नत स्टील्थ तकनीक, जबरदस्त सेंसर, और Network-enabled युद्ध प्रणाली इसे अब तक का सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान बनाती हैं.
F-35 की खूबियां
- F-35 को लो ऑब्ज़र्वेबल (LO) स्टील्थ डिज़ाइन के साथ विकसित किया गया है, जिससे यह रडार की पकड़ में नहीं आता. इसके लिए इसकी बॉडी पर स्पेशल कंपोज़िट मटेरियल और रेडार-एब्जॉर्बिंग कोटिंग का उपयोग किया गया है.
- यह हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों प्रकार के हमले करने में सक्षम है. इसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम हैं, जिससे यह दुश्मन की संचार और रडार प्रणाली को जाम कर सकता है. यह युद्ध क्षेत्र में इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रीकोनिसेंस (ISR) मिशनों के लिए भी फिट है.
- F-35 की अत्याधुनिक एवियोनिक्स और फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम इसे किसी भी अन्य चौथी पीढ़ी के विमान से ज्यादा कुशल बनाता है.
- इसका प्रैट एंड व्हिटनी F135 इंजन अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और इसे 1.6+ मैक (1,960 किमी/घंटा) की गति तक ले जा सकता है.
- F-35 में डिस्ट्रिब्यूटेड अपर्चर सिस्टम (DAS), इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम (EOTS), और एडवांस्ड एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार मौजूद हैं.
- यह डेटा लिंक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके अन्य मित्र विमान, युद्धपोतों और ग्राउंड यूनिट्स के साथ वास्तविक समय में सूचना साझा कर सकता है.
कैसे हुई F-35 कार्यक्रम की शुरुआत?
F-35 कार्यक्रम की शुरुआत 1990 के दशक में जॉइंट स्ट्राइक फाइटर (JSF) प्रोग्राम के तहत हुई थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसा विमान बनाना था जो कई पुराने लड़ाकू विमानों की जगह ले सके, जैसे कि F-16, A-10, AV-8B हैरियर II, और F/A-18 हॉरनेट. 2001 में लॉकहीड मार्टिन ने इस प्रोजेक्ट का कॉन्ट्रैक्ट जीता, जिसमें नॉर्थरोप ग्रुम्मन और BAE सिस्टम्स भी प्रमुख साझेदार बने. इस विमान ने पहली उड़ान 15 दिसंबर 2006 को भरी और कई वर्षों के परीक्षण और विकास के बाद, इसे 2015 में अमेरिकी मरीन कॉर्प्स, 2016 में US एयर फोर्स और 2019 में US नेवी में आधिकारिक तौर पर शामिल किया गया.
F-35 के तीन संस्करण
F-35 को अमेरिका में वायुसेना के अलावा मरीन कॉर्प्स और नेवी भी इस्तेमाल करती है. इसलिए इसके तीन अलग-अलग प्रकार डेवलप किए गए ताकि तीनों सेनाओं की जरूरतों को पूरा किया जा सके.
पहला है परंपरागत टेकऑफ और लैंडिंग करने वाला वर्जन F-35A. इसे मुख्य रूप से अमेरिकी वायु सेना और सहयोगी देशों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें एक 25 एमएम की इंटरनल गन भी लगी होती है. इसे F-16 फाइटर जेट की जगह लेने वाला माना जाता है. इसकी उड़ान रेंज करीब 2,200 किमी (1,367 मील) है. इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है जिससे इसकी रेंज कहीं ज्यादा बढ़ जाती है.
दूसरा वर्जन है F-35B जिसे शॉर्ट टेकऑफ और वर्टिकल लैंडिंग वर्जन भी कहा जाता है. इसे विशेष रूप से अमेरिकी मरीन कॉर्प्स और ब्रिटिश रॉयल नेवी के लिए डिज़ाइन किया गया था. वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग (VTOL) सिस्टम के कारण इसे छोटे एयरक्राफ्ट कैरियर और दूर दराज के इलाकों से ऑपरेट किया जा सकता है. इसमें एक लिफ्ट फैन सिस्टम है, जिसे रोल्स-रॉयस द्वारा विकसित किया गया है. यह अपने पहले वर्जन F-35A से थोड़ा छोटा और हल्का है. इसकी स्टील्थ क्षमता इसे किसी भी युद्ध क्षेत्र में सुरक्षित और घातक बनाती है.
तीसरा और आखिरी वर्जन है F-35C जिसके कैटापल्ट असिस्टेड टेकऑफ मॉडल भी कहा जाता है और यह विशेष रूप से अमेरिकी नौसेना के लिए डिज़ाइन किया गया.
एयरक्राफ्ट कैरियर्स से संचालित करने के लिए इसमें मजबूत लैंडिंग गियर और बड़े फोल्डिंग पंख दिए गए हैं. यह F/A-18 सुपर हॉरनेट की जगह लेने के लिए बनाया गया है. इसकी विंगस्पैन अन्य वर्जन से बड़ी है, जिससे यह अधिक स्थिरता प्रदान करता है. इसकी रेंज 2,500 किमी (1,553 मील) तक हो सकती है.
भारत में अमेरिका का बाहुबली
F-35 के हथियार
- एआईएम-120 AMRAAM (हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल)
- जीबीयू-12 Paveway II (लेजर-गाइडेड बम)
- जीबीयू-31 JDAM (GPS-गाइडेड बम)
- AGM-154 JSOW (स्टैंड-ऑफ वेपन)
- B61-12 परमाणु बम (संभावित विकल्प, केवल F-35A के लिए)
- 25mm GAU-22/A गन
F-35 दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक है और इसे अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान, दक्षिण कोरिया, इटली, कनाडा, नीदरलैंड, और नॉर्वे सहित 15 से ज्यादा देशों की वायुसेनाएं इस्तेमाल करती हैं. यह विमान न केवल सैन्य श्रेष्ठता बढ़ाता है, बल्कि युद्ध क्षेत्र में 'फोर्स मल्टीप्लायर' की तरह कार्य करता है.