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क्या होता है ला नीना? भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड या लू से झुलसेंगे लोग, जानें WMO ने क्या कहा

La Nina Effect On India: ला नीना को लेकर WMO ने बड़ा अपडेट दिया है. WMO ने कहा कि अगले ला नीना के कमजोर और कम दिनों के लिए सक्रिय होने की उम्मीद है. ला नीना की वजह से भारत में ठंड पड़ती है और मानसून के सीजन में ज्यादा बारिश होती है. वहीं, जब यह कमजोर होता है तो भीषण गर्मी पड़ता है. आइए, जानते हैं कि अगले साल भारत में ज्यादा गर्मी पड़ेगा या कड़ाके की ठंड...

क्या होता है ला नीना? भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड या लू से झुलसेंगे लोग,  जानें WMO ने क्या कहा
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( Image Source:  ANI )
स्टेट मिरर डेस्क
By: स्टेट मिरर डेस्क

Updated on: 12 Dec 2024 4:28 PM IST

La Nina Effect On India: ला नीना को लेकर बड़ी खबर सामने आई है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 11 दिसंबर को कहा कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच ला नीना की स्थिति पैदा हो सकती है. WMO के मुताबिक, आगामी ला नीना के कमजोर और छोटी अवधि में रहने की उम्मीद है. दिसंबर से फरवरी के दौरान मौजूदा तटस्थ स्थितियों से ला नीना में संक्रमण की 55 प्रतिशत संभावना है. अगर यह अगले कुछ महीनों में विकसित होता है तो यह एक छोटी अवधि होगी.

WMO के मुताबिक, 2024 बेहद गर्म साल रहा है. यह नए रिकॉर्ड बनाने जा रहा है. यह 2016 के रिकॉर्ड (सामान्य से 0.71 डिग्री सेल्सियस) को भी तोड़ सकता है.

क्या है ला नीना?

ला नीना यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर के साथ समुद्र की सतह का तापमान औसत से नीचे चला जाता है. आसान शब्दों में कहें तो ला नीना की वजह से ठंड ज्यादा पड़ती है और गर्मी कम... वहीं, जब ला नीना कमजोर पड़ता है देश में भीषण गर्मी पड़ती है.

ला नीना का भारत पर क्या असर होगा?

ला नीना के कमजोर होने से अगले साल यानी 2025 में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा. हो सकता है कि गर्मी सारे रिकॉर्ड भी तोड़ दे. भारत में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के पार जाने की संभावना है. अमूमन ला नीना के प्रभाव से मानसून सीजन के दौरान भारत में ज्यादा बारिश होती है. इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और जल संकट की समस्या कम होती है. हालांकि, इस बार इसके कमजोर होने से 2025 में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा. इस दौरान दिन में निकलना मुश्किल हो जाएगा.

ला नीना का प्रभाव

ला नीना की वजह से वर्षा और तापमान में बदलाव के साथ चक्रवात और तूफान देखने को मिलते हैं. इसका असर खेती पर भी होता है. कुछ क्षेत्रों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. वनस्पति और जीव जन्तुओं पर भी इसका असर दिखाई देता है. ला नीना के दौरान कुछ इलाकों में भारी बारिश होती है तो कुछ क्षेत्रों में कम वर्षा होती है. ला नीना के दौरान कुछ क्षेत्रों में तापमान में कमी तो अन्य क्षेत्रों में तापमान में इजाफा हो सकता है. इस दौरान चक्रवात और तूफान की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है. ला नीना के प्रभाव से फसलों का कम उत्पादन होता है.

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