लोकसभा में पेश हुआ 'One Nation, One Election' बिल, भारत में क्या आएगा बदलाव? 8 POINTS
One Nation, One Election: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों में दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी. इसे लागू करने के लिए पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मैकेनिज्म तैयार करना होगा.

One Nation, One Election: केंद्र की मोदी सरकार मंगलवार यानी 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का विधेयक पेश किया. कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया है. पिछले सप्ताह कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी थी और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस बिल को लोकसभा में पेश कर सकते हैं. ऐसे में यहां ये समझना जरूरी है कि इस कानून के आने के बाद देश भर में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे.
आइए इन 8 प्वाइंट्स में समझते हैं इससे होने वाले बदलाव
- अगर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' का बिल पास हो जाता है तो सरकार को सबसे पहले इसके लिए बड़े लेवल पर तैयारियां करनी होगी. पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मैकेनिज्म तैयार करना होगा.
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में केवल लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं.
- दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ इस तरह से कराए जाएंगे कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव संसदीय और विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर कराए जाएं.
- संविधान लागू होने के बाद साल 1951-52 और 1952, 1957, 1962, 1967 में देश में पहली बार चुनाव कराए गए थे, ऐसे में इस तरह के चुनाव से दावा किया जा रहा है कि हर साल चुनाव पर होने वाला खर्च 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के साथ कम हो जाएगा.
- 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के आने से केंद्र और राज्य सरकारों के काम पर असर नहीं पड़ेगा. इससे सरकार बार-बार चुनाव की तैयारियों और चुनाव के मोड पर नहीं जाएगी, जिससे डेवलपमेंट वर्क पर इसका असर नहीं पड़ेगा.
- 'वन नेशन, वन इलेक्शन' की एक और खास बात ये है कि इसके आने से देश भर में वोटरों की संख्या में भी इजाफा होगा, क्योंकि बार-बार चुनाव होने के कारण अपने क्षेत्र से बाहर रह रहे या फिर अपने काम में व्यस्त रह रहे लोग वोट नहीं दे पाते हैं. ऐसे में उन्हें एक बार ही छुट्टी लेनी होगी, जिससे वोटर की संख्या में बढ़त देखने को मिल सकता है.
भारत में ईवीएम और वीवीपैट की संख्या सीमित है, ऐसे में एक साथ चुनाव कराने के लिए सरकार को दोगुनी ईवीएम और वीवीपैट की आवश्यकता होगी, जिसे पूरा करना बिल पास होने के बाद सरकार की पहली चुनौती होगी.
एक साथ चुनाव कराने पर सिर्फ फायदे ही नहीं इसके लिए कई चैलेंज भी सामने आएंगे, जिसमें अगर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भंग हो गया तो इससे कैसे निपटा जाएगा? क्योंकि इनका कार्यकाल पांच साल का होता है. इस स्थिति में क्रम में बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होगी.